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समाज

हज सब्सिडी के बिना एयर इंडिया का क्या होगा?

फैसल फरीद
१७ जनवरी २०१८

भारत के मुस्लिम समाज के बड़े तबके ने हज सब्सिडी खत्म करने के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि क्या मोदी सरकार दूसरे धार्मिक आयोजनों पर भी ऐसा रुख दिखाएगी?

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Mekka Pilger auf dem Berg Arafat
तस्वीर: REUTERS

भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुसलमानों को उनकी धार्मिक यात्रा हज के लिए दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी समाप्त करने का फैसला लिया हैं. देश की आजादी के बाद ये पहली बार होगा जब मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब की यात्रा बिना सरकारी सब्सिडी के करेंगे. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को इसका एलान कर दिया.  हालांकि उन्होंने ये भी कहा की सब्सिडी की राशि अब अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की शिक्षा पर खर्च होगी. नकवी ने इसको तुष्टिकरण नहीं सशक्तिकरण बताया. केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में नयी हज नीति बनायीं थी जिसमे हज सब्सिडी खत्म करने समेत 16 सिफरिशें की गई थीं.

जहां तक मुस्लिम समुदाय में इस बात की प्रतिक्रिया का प्रश्न हैं तो लगभग सभी ने इसका स्वागत किया हैं. हालांकि कुछ ने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि दूसरे धर्म के धार्मिक आयोजनों पर होने वाले सरकारी खर्च पर क्या रोक लग पाएगी?

हज क्या है?
मुसलमानों के पांच मूल सिद्धांतों में हज यात्रा शामिल हैं. प्रत्येक मुसलमान को अपने जीवन में अगर उसकी हैसियत है तो अपने खर्चे से एक बार हज करना जरूरी हैं. इसमें मुसलमान सऊदी अरब के मक्का और मदीना की यात्रा करते हैं. सऊदी अरब हर देश का हज यात्रियों का कोटा निर्धारित करता हैं. इस वर्ष भारत से 1.75 लाख मुसलमान हज करने जाएंगे. ये संख्या अब तक की सबसे ज्यादा है. ज्यादातर यात्री हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिये जाते हैं. कुछ मुसलमान प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स की मदद लेते हैं. हज कमेटी का दफ्तर मुंबई में है. ये विभिन्न राज्यों की राज्य हज समिति के द्वारा यात्रियों को भेजती है. हज सब्सिडी सिर्फ हज कमेटी ऑफ इंडिया के द्वारा भेजे गए मुसलमानों पर ही लागू होती है. प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स से हज पर जाने से कोई सब्सिडी नहीं मिलती.

हज सब्सिडी क्या है?

आम धारणा के विपरीत इसमें मुसलमानों को नकद कोई भी सहायता नहीं मिलती है. ये सब्सिडी की राशि सीधे विमान कंपनी एयर इंडिया को दी जाती है. हज यात्रियों को केवल एयर इंडिया से ही यात्रा करने की अनुमति होती है. एयर इंडिया का करार सऊदी एयरलाइंस से है. इसीलिए यात्री जाते एयर इंडिया और वापसी सऊदी एयरलाइंस से करते हैं.

साल 2016 में हज पर जाने वाले यात्रियों से 45,000 रुपये किराये के लिए गए थे. जबकि एयर इंडिया का किराया 70,085 रुपये अधिकतम और 58,254 रुपये न्यूनतम है. इस किराये का अंतर सरकार विमान कंपनी को देती है जिसे सब्सिडी कहते हैं. वैसे इस बार हज यात्रा के लिए एम्बार्केशन प्वाइंट (उड़ान भरने की जगह) की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गयी है. उदाहरण के लिए हवाई जहाज का किराया मुंबई और दिल्ली से सस्ता है और श्रीनगर से महंगा. यानि श्रीनगर वाले यात्री को ज्यादा फायदा होता था और दिल्ली, मुंबई वाले यात्री को कम. अब यात्री अपनी मर्जी से एम्बार्केशन पॉइंट तय कर सकते हैं.

कितनी होती है हज सब्सिडी?
हज सब्सिडी घटना पिछली कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में ही शुरू हो गयी थी. ऐसा इसीलिए हुआ था क्योंकि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल में हज सब्सिडी खत्म करने को कहा था. वर्ष 2012 में सब्सिडी के रूप में 836.55 करोड़ रुपये दिए गए, वर्ष 2013 में 680.03 करोड़, वर्ष 2014 में 577.07 करोड़, वर्ष 2015 में 529.51 करोड़, वर्ष 2016 में 405 करोड़ और में 2017 में 250 करोड़ दिए गए थे.

क्या कहना है मुसलमानों का

आशा के विपरीत मुसलमान हज सब्सिडी खत्म से खुश नजर आ रहे हैं. उन्होंने फैसले का स्वागत किया है. लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के अनुसार हज सब्सिडी खत्म करने की मांग पहले भी की गई थी. सब्सिडी मुसलमानों को नहीं एयर इंडिया को दी जाती थी. अब जब सब्सिडी समाप्त कर दी गई है तो मुसलमानों को एयरलाइंस चुनने की आजादी दी जानी चाहिए और इसके लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित करना चाहिए. फरंगी महली आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं.

मुसलमानों का ये मानना है कि सरकार एयर इंडिया को सब्सिडी के माध्यम से फायदा पंहुचा रही थी. लखनऊ के युवा समाजसेवी आसिफ जाफरी अपने स्मार्ट फोन पर इसको समझाते हुए कहते हैं,  "देखिए अगर हम परसों का भी टिकट बुक कराएं तो लखनऊ से जेद्दाह का तो यात्रा.कॉम के माध्यम से ये ओमान एयरवेज द्वारा मात्र 20,615 रुपये (वनवे टिकट) में उपलब्ध हैं. हज यात्रा में तो 7-8 महीने पहले पैसा जमा हो जाता है तो कितना सस्ता पड़ेगा."

उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी कहते हैं की हज सब्सिडी से सिर्फ फायदा एयर इंडिया को पहुंच रहा था. रिजवी कहते हैं कि हज सब्सिडी निश्चित रूप से गैर शरई है और इसके बारे में कुरान शरीफ की सूरह अल इमरान की आयत 97 में लिखा है, "लोगों पर वाजिब है कि महज खुदा के लिए खानाए काबा का हज करें जिन्हें वहां तक पहुंचने की इस्तेताअत है' अर्थात जो सक्षम हैं."

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद कहते हैं कि हम हज सब्सिडी खत्म करने का स्वागत करते हैं. इसकी मांग हम बहुत पहले से कर रहे थे. ये सिर्फ एयर इंडिया के फायदे के लिए थी. दूसरी एयरलाइन सस्ता टिकट देंगी. शायद अब सरकार एयर इंडिया में विनिवेश के लिए आगे बढ़ जाए. प्रोफेसर सज्जाद कहते हैं कि अब एयर इंडिया प्राइवेट हाथों में जाएगी क्योंकि उसका एकमात्र लाभकारी कार्य हज यात्रियों को ले जाना भी खत्म हो गया और उसका घाटा बढ़ जायेगा. पहले ही उसमे 49% एडीआई आ चुका है.

हज सब्सिडी खत्म करने के लिए फायर ब्रांड मुस्लिम सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी कई बार संसद में बात उठा चुके हैं. ओवैसी कहते हैं कि हम 2006 से ही हज सब्सिडी खत्म करने के लिए कह रहे थे. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया था इसीलिए इसमें श्रेय लेने जैसी कोई बात नहीं हैं. हालांकि ओवैसी ने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि क्या सरकार हिंदू धार्मिक आयोजन पर सब्सिडी या सरकारी खर्च पर भी रोक लगाएगी. ओवैसी के अनुसार क्या मोदी सरकार संविधान की धारा 290A (जो देवासम फंड्स से संबंधित है) को हटाएगी, क्या भाजपा अब योगी सरकार को 800 करोड़ की सब्सिडी अयोध्या, काशी और मथुरा यात्रा पर रोक लगाने को कहेगी, क्या कैलाश मानसरोवर के प्रत्येक यात्री को डेढ़ लाख रुपये देने पर रोक लगाएगी, मोदी सरकार ने सौ करोड़ मध्य प्रदेश सरकार को सिंहस्थ कुम्भ के आयोजन के लिए दिए जिस पर 3,400 करोड़ खर्च हुआ.

ओवैसी भले ही राजनीतिक होने के कारण ऐसे सवाल उठा रहे हो लेकिन मुसलमानों में एक वर्ग इस बात को सही मान रहा है. कामरान खान, जो इंजीनियरिंग के छात्र हैं वह कहते हैं कि किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में किसी धर्म को कोई सब्सिडी नहीं दी जानी चाहिए, सरकारी खर्च से कोई धार्मिक आयोजन नहीं होना चाहिए, इस बात को हर धर्म पर लागू करना चाहिए.

वैसे केंद्र सरकार ने हज यात्रा को सस्ता बनाने के लिए समुद्र मार्ग से हज यात्रा करने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिए हैं. पहले समुद्र मार्ग से लोग हज करने जाते थे तब दो जहाज अकबर और नूरजहां हज यात्रियों को ले जाते थे लेकिन ये सिलसिला 1995 में खत्म कर दिया गया था.