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मुस्लिम नेता क्यों जा रहे हैं बीजेपी की ओर

फैसल फरीद
२८ अगस्त २०१८

आमतौर पर सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी से बहुत कम ही मुसलमान जुड़ते हैं, लेकिन इधर जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं तब से काफी मुसलमान भाजपा की तरफ झुक रहे हैं.

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Nazneen Ansari
तस्वीर: privat

राजनीतिक रूप से सब स्वतंत्र हैं किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन करने के लिए लेकिन इधर एक नयी बात सामने आई है. बहुत से मुसलमान नेता जो भाजपा से जुड़े या उसके प्रति सहानुभूति रखते हैं वो आगे बढ़-चढ़ कर तमाम हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं. वो क्या साबित करना चाहते हैं ये विचारणीय है. ऐसे मुस्लिम नेता मंदिर जा रहे हैं, श्लोक पढ़ रहे हैं, गो-दान कर रहे हैं और भाजपा का समर्थन कर रहे हैं. ये सब अपने आप को राष्ट्रवादी भी कहते हैं.

वाराणसी की नाजनीन अंसारी टी वी पर एक जाना पहचाना चेहरा बन चुकी हैं. वैसे वो मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं और एक बुनकर परिवार से संबंध रखती हैं लेकिन उनकी पहचान एक राम भक्त के रूप में ज्यादा है. वो कई सारे हिन्दू  धर्मग्रंथों का अनुवाद कर चुकी हैं. रक्षा-बंधन पर मोदी को राखी भेजती हैं, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के पक्ष में हैं और चंदा भी दिया है. ट्रिपल तलाक पर मोदी का समर्थन करती हैं. उन्होंने राम आरती भी लिखी है और उसका पाठ करती हैं. फिलहाल प्रदेश सरकार ने उनको राज्य मदरसा शिक्षा परिषद् का सदस्य नामित किया हुआ हैं. फेसबुक पर उनके 15000 से ज्यादा फॉलोवर्स हैं.

Poster Amir Rasheed

इसी प्रकार अलीगढ में मोहम्मद आमिर रशीद भी मुसलमान हैं लेकिन अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आरएसएस की शाखा लगवाने के लिए कह चुके हैं. वैसे वो अपने को संघ विचारक लिखते हैं और वीर सावरकर को भारत रत्न देने के पक्षधर हैं. आमिर मुस्लिम यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं.

राज्य स्तर पर भी कई मुस्लिम नेता बीजेपी से जुड़े हैं. जब बीजेपी सरकार बनी तब से कयास लगने शुरू हो गये कि इस बार कौन मुस्लिम मंत्री बनेगा. बीजेपी सरकार में एक मुस्लिम मंत्री रहता आया है. इस बार ये दायित्व मिला लखनऊ के मोहसिन रजा को जिन्हें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया. मोहसिन रजा चूंकि मंत्री हैं इसीलिए वो सरकारी कार्यक्रमों में शामिल रहते हैं जैसे अयोध्या में देव दीपावली का आयोजन जहां उन्होंने राम की अगवानी भी की. इसके अलावा वो अक्सर भगवा कुरता पहनते हैं और जब तब मंदिर भी जाते हैं. इन्होंने अपना ऑफिस भी भगवा करवा दिया है. मीडिया से बातचीत में इस चटक भगवा रंग को उन्होंने प्रकाश देने वाला बताया. रजा ने कहा, " यहां से प्रकाश निकलता है उससे उर्जा का संचार होता है जो भी भगवा धारण करेगा उसके जीवन में उजाला होगा."

एक हैं आजम खान जो अपने नाम के आगे राष्ट्रवादी लिखते हैं. ये अयोध्या में शिला लेकर पहुंच गए और मंदिर निर्माण की वकालत की. माथे पर तिलक और गले में भगवा गमछा धारण करते हैं. आजम तो हिन्दुओ को जगाने की भी बात करते हैं जिससे राम मंदिर का निर्माण संभव हो.

उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सय्यद वसीम रिजवी काफी दिनों से ऐसा कह रहे हैं. उन्होंने मुसलमानों से नौ मस्जिदों को हिन्दुओं को सौपने को कहा है. वे अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में हैं, भगवान राम की मूर्ति के लिए चांदी के तीर भी भेट करने को कह चुके हैं. ये भी अयोध्या जा कर संतो से मिल चुके हैं. ये अयोध्या से दूर मस्जिद बनाने के पक्ष में हैं और बाबर का नाम हटाने के लिए कह चुके हैं. वसीम काफी मुखर रहते हैं. वो इस्लामिक झंडा जिसपर चांद तारा बना रहता है उसके भी खिलाफ हैं. रिजवी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं. इनका दावा है कि इन सब कारणों से इनको मुस्लिम चरमपंथियों से धमकी भी मिली है और फिलहाल सरकार ने इनको सुरक्षा दे रखी है.

लखनऊ में एक और मुस्लिम नेता हैं बुक्कल नवाब. कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी थे लेकिन समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में आए और वहां एम एल सी हैं. ये भी अपने बयानों के लिए जाने जाते हैं. कभी गोदान करते हैं और इस रक्षाबंधन पर गाय को बुरका पहने मुस्लिम औरतों से राखी बंधवाने का कार्यक्रम भी आयोजित किया. ज्यादातर भगवा कुरता पहनते हैं और राष्ट्रीय शिया समाज (आरएसएस) नाम से संगठन भी बनाया है. हालांकि बुक्कल नवाब दावा करते हैं कि उनके पूर्वज पहले से हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर रहे हैं और उनके पिता दारा नवाब ने भगवान शंकर का मंदिर भी बनवाया था.

लिस्ट लम्बी है और बहुत लोग अब इन नेताओं के हिन्दू बनने की होड़ से परेशान नहीं होते हैं. इलाहाबाद के जी बी पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर बद्री नारायण कहते हैं, "ऐसे लोग सिर्फ सत्ता से तालमेल बिठाने के लिए ऐसा करते हैं. कोई मूल्यों की बात नहीं है. असुरक्षा की भावना भी नहीं है वरना आम मुसलमान भी ऐसा करता. ये सिर्फ अपने लिए करते हैं."