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मैच होता है तो काम नहीं करते जर्मन

२७ जून २०१८

भारत में जैसी दीवानगी क्रिकेट के लिए है जर्मनी में वैसी ही फुटबॉल के लिए. अगर जर्मनी मैच खेल रहा हो, तो मतलब काम की छुट्टी. देश को हर मैच से बीस करोड़ यूरो का नुकसान हो रहा है.

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Büro zur Fußball-WM schmücken
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Warnecke

अमूमन लोग दफ्तर में नौ से पांच बजे तक काम करते हैं. लेकिन अगर जर्मनी का मैच चार बजे शुरू हो जाए, तो क्या करें? या तो छुट्टी ले कर जल्दी घर चले जाएं और या फिर दफ्तर में बैठ कर सबके साथ मिल कर ही मैच देखें. हर किसी को छुट्टी तो नहीं मिल सकती, इसलिए लोग दफ्तर में ही मैच का आनंद ले लेते हैं. लेकिन इसका मतलब ये हुआ कि कम से कम एक घंटे के लिए दफ्तर में काम नहीं होगा.

जर्मन आर्थिक संस्था आईडब्ल्यू के अनुसार महज 30 फीसदी लोग ही मैच के दौरान दफ्तर में काम करते हैं. संस्था ने अनुमान लगाया है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को 13 से 20 करोड़ यूरो का नुकसान होता है. लेकिन इसके साथ ही रिसर्चरों ने ये भी कहा है कि सहकर्मियों के साथ मिल कर मैच देखना "टीम स्पिरिट" के लिए अच्छा है. यानी आर्थिक नुकसान तो होगा लेकिन लोगों की आपसी समझ बेहतर होगी और अंततः इसका असर काम पर भी देखने को मिलेगा. संस्था ने उम्मीद जताई है कि दफ्तर में एक साथ मैच देखने के बाद सहकर्मियों की उत्पादकता बढ़ेगी.

इस लिहाज से देखा जाए तो ये घाटे का सौदा नहीं है. आईडब्ल्यू के मार्केट एक्सपर्ट क्रिस्टॉफ श्रोएडर ने इस बारे में कहा, "पैसा ही हमेशा सब कुछ नहीं होता, टीम को जोड़ना भी जरूरी होता है और मेरे लिहाज से इस काम के लिए अपने सहकर्मियों के साथ मिल कर फुटबॉल का मैच देखने से बेहतर और कुछ भी नहीं हो सकता."

दफ्तर को नुकसान होगा, ये बात सही है लेकिन अर्थव्यवस्था को अलग तरह से भी फायदे पहुंचते हैं. मसलन जो लोग बाहर रेस्तरां में बैठ कर दोस्तों या परिवार के साथ मैच देखते हैं, वे भी अर्थव्यवस्था को फायदा ही पहुंचा रहे हैं. जर्मनी में मैचों के दौरान रेस्तरां और बार बड़ी बड़ी स्क्रीनें लगाते हैं ताकि लोग वहीं बैठ कर खाना भी खाएं, बियर का आनंद भी लें और मैच का लुत्फ भी उठाएं.

आईबी/एमजे (एएफपी)

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