1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

यूरोप का मुस्लिम देश क्यों बचाता रहा यहूदियों को?

४ मार्च २०१९

दुनिया जानती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी शासकों ने यहूदियों पर जुल्म ढाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन उस वक्त नाजियों के नियंत्रण वाला एक देश ऐसा भी था जहां के परिवार यहूदियों को बचा रहे थे.

https://p.dw.com/p/3EPoM
Albanien Berat -  jüdisches Solomon Museum steht vor dem aus
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Shkullaku

यह तस्वीर यूरोप के मुस्लिम बहुल देश अल्बानिया के एक संग्रहालय की है. अल्बानिया के दक्षिणी छोर पर बसे शहर बेरात का यह संग्रहालय अपने खजाने में यहूदियों का 500 साल पुराना इतिहास, उनकी कहानियों समेत तमाम धरोहरों को सहेजे हुए हैं. मुस्लिम देश अल्बानिया और यहूदियों के बीच का रिश्ता बेहद ही दिलचस्प है. माना जाता है कि अल्बानिया नाजी शासन के तहत आने वाला इकलौता ऐसा बाल्कन राज्य था जहां द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यहूदियों की आबादी बढ़ गई थी. आबादी बढ़ने का कारण था वहां बसे ऐसे साधारण परिवार जिन्होंने अपनी बहादुरी की दम पर नाजी यातनाओं से भागकर आने वाले सैकड़ों रिफ्यूजियों को पनाह दी थी.

साल 2018 में बेरात में खुला यह म्यूजियम यहूदियों के इसी संबंधों की बानगी पेश करता रहा है. म्यूजियम का रख-रखाव लंबे समय तक वहां के इतिहासकार साइमन बुर्शो करते रहे. लेकिन फरवरी 2019 में साइमन की 75 साल की उम्र में मौत हो गई, जिसके चलते अब इतिहास के इन दस्तावेजों पर खतरा मंडराने लगा है. जब तक साइमन जिंदा थे वह अपनी पेंशन और छोटे-मोटे दान के बल पर म्यूजियम का खर्चा संभाल लेते थे. लेकिन अब सवाल है कि इसे कौन संभालेगा?

Albanien Berat -  jüdisches Solomon Museum steht vor dem aus
यहूदियों से जुड़ा अल्बानिया का संग्रहालयतस्वीर: Getty Images/AFP/G. Shkullaku

साइमन के इस खजाने से पता चलता है कि 16वीं शताब्दी में यहूदी समुदाय सबसे पहले स्पेन से बेरात आया था. इतना ही नहीं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1943 में जब जर्मन प्रशासन ने अल्बानिया को अपने नियंत्रण में ले लिया, तब भी वहां के स्थानीय प्रशासन ने देश में छिपे यहूदियों को देने से इनकार कर दिया था. इसी वीरता और शौर्य का नतीजा था कि युद्ध के दौरान वहां यहूदी आबादी कई सौ से बढ़कर 2000 के पार हो गई थी.

इस्राएल के होलोकॉस्ट मेमोरियल याद वाशेम के मुताबिक, "जर्मन कब्जे के दौरान अल्बानियाई सीमाओं के भीतर रहने वाले लगभग सभी यहूदियों को बचा लिया गया था, सिवाय एक परिवार को छोड़कर जिसके सदस्यों को डिपोर्ट किया गया था और उसमें पिता को छोड़कर सभी की मौत हो गई थी."

जब इतिहास के इस हिस्से को अल्बानियाई समझाते हैं तो वे कहते हैं कि इसका सच "बेसा" में छिपा है. बेसा इनकी संस्कृति संहिता का हिस्सा है जो कहता है कि किसी भी सूरत में वादा निभाया जाना चाहिए.

देश में आज भी  धार्मिक सहिष्णुता का एक समृद्ध इतिहास भी देखने को मिलता है. बेरात में भी आपको चर्च और मस्जिद एक दूसरे के सामने खड़े दिख जाएंगे. बेरात के म्यूजियम में ऐेस दर्जनों परिवारों की जानकारी दर्ज है जिन्होंने यहूदियों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके साथ ही तकरीबन ऐसे 600 नाम भी दर्ज हैं जो बेलग्रेड (सर्बिया) और प्रिस्टीना (कोसोवो) में बसे अति क्रूर नाजी केंद्रों से बचकर भागे थे.

Albanien Berat -  jüdisches Solomon Museum steht vor dem aus
अल्बानिया का शहर बेराततस्वीर: Getty Images/AFP/G. Shkullaku

आज अल्बानिया में ना के बराबर यहूदी रहते हैं. देश की राजधानी तिराना में करीब 100 यहूदी ही रहते होंगे. दरअसल द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अल्बानिया में कम्युनिस्ट शासन स्थापित हो गया और साल 1991 में जब वह टूटा तो अधिकतर यहूदी इस्राएल रवाना हो गए. जब अल्बानिया में साम्यवाद का पतन हुआ तब जाकर दुनिया के सामने वहां के लोगों द्वारा यहूदियों को बचाने जाने वाले किस्से सामने आएं. देश के इस इतिहास पर अल्बानिया गौरव महसूस करता है. सरकार हर साल होलोकॉस्ट रिमेंबरेंस डे मनाती है और तिराना में एक प्रदर्शनी लगती है. 

 इन सब के बावजूद भी साइमन बुर्शो का संग्रहालय इकलौता ऐसा खजाना है जो यहूदियों के इतिहास में जाकर उनसे जुड़े हर पहलू को खंगालता है. मई 2018 में खुले इस संग्रहालय को अब तक दुनिया के हजारों लोग देखने पहुंचे हैं. बुर्शो की पत्नी एंजीलिना बेहद ही नम आंखों से कहती हैं, "मुझे इस संग्रहालय के भविष्य की चिंता है"

एए/ओएसजे (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी