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यूरोप का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर चालू

३० जुलाई २०१२

यूरोप के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर ने जर्मनी में काम करना शुरू कर दिया है. यह न सिर्फ तेज गणना करता है बल्कि ज्यादा उपयोगी और किफायती भी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/Leibniz-Rechenzentrum

करीब 500 वर्ग मीटर में फैला 100 टन वजनी यूरोप का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर तीन पेटाफ्लॉप्स की रफ्तार से गणना करता है. एक पेटाफ्लॉप का मतलब है एक संकेंड में 10 हजार खरब गणनाएं. आईबीएम का बनाया सुपर एमयूसी कंप्यूटर म्युनिख के पास लाइबनित्स कंप्युटिंग सेंटर (एलआरजेड) में लगा है. गणना करने की इसकी रफ्तार ने इसे दुनिया का चौथा सबसे तेज सुपर कंप्यूटर बना दिया है.

सुपर एमयूसी कंप्यूटर की क्षमता का अहसास कराने के लिए इसे बनाने वाली आईबीएम ने बताया है कि अगर तीन अरब लोग पॉकेट कैलकुलेटर लेकर 10 लाख कैलकुलेशन प्रति सेकेंड के हिसाब से जोड़ घटाव करें तो इसके बराबर गणना होगी. एलआरजेड की व्यवस्था देखने वाली बोर्ड के प्रमुख आर्न्ड्ट बोडे इस मशीन की तेजी के बारे में कहते हैं, "यह एक सेकेंड में पूरी दुनिया का 70 हजार बार चक्कर लगा सकती है."

Deutschland Computer superMUC in Leibniz Computing Center
तस्वीर: picture-alliance/dpa

एलआरजेड अपने 50 साल के इतिहास को याद कर रहा है. 1962 में जब इसे शुरू किया गया तब यहां नियमित गणनाएं होती थी. बोडे ने बताया, "उस वक्त कंप्यूटर सामान्य तौर पर बस गणना के लिए ही इस्तेमाल होते थे जैसे कि इंजीनियरों के लिए जोड़ घटाव करना." 24 यूरोपीय देश, तुर्की और इस्राएल के साथ मिल कर आईबीएम के इस नए कंप्यूटर का इस्तेमाल करेंगे. एक अंतरराष्ट्रीय गुट यह तय करेगा कि कब किसे इसका इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी. बोडे ने बताया कि कंप्यूटर की बुकिंग पूरी हो चुकी है. भौतिकशास्त्री, भूशास्त्री, अंतरिक्ष विज्ञानी, गणितज्ञ और डॉक्टर के साथ ही मौसम विज्ञानियों को भी इस सुपरकंप्यूटर का फायदा मिलेगा.

बड़े काम का कंप्यूटर

जर्मन रिसर्च मंत्री एनेट शावान कहती हैं, "सिम्युलेशन ने सिद्धांत और प्रयोग के बाद खुद को विज्ञान के तीसरे स्तंभ के रूप में कायम कर लिया है. सुपर कंप्यूटरों ने रिसर्च के तरीकों को बदल दिया है और चीजों के विकास को सरल बना दिया है." सुपर कंप्यूटर वातावरण में बदलाव के बारे में गणनाएं कर सकते हैं. इसके साथ ही भूकंप के असर और पृथ्वी की भूपर्पटी के नीचे होने वाली बदलावों का मॉडल भी इनके जरिए बनाया जा सकता है. डार्क मैटर और ऊर्जा के बारे में सिद्धांतों की इनकी मदद से ही पुष्ट की जा सकती है. इसके अलावा जीन की कड़ियों को जोड़ना, प्रोटिन की जटिल संरचना को समझना, अल्जाइमर और पारकिंसन जैसी बीमारियों का पता लगाना, यह सब सुपरकंप्यूटर के काम का हिस्सा हैं. हमारे फेफड़े और दूसरे अंग कैसे काम करते हैं, इसके बारे में एक दम ठीक ठीक हिसाब सिम्युलेटर की मदद से लगाया जा सकता है.

Deutschland Computer superMUC in Leibniz Computing Center
तस्वीर: picture-alliance/dpa

वैज्ञानिक इस तरह के सुपर कंप्यूटर की मदद से हवाई जहाज के इंजिन का शोर कम करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. बोडे ने बताया कि नए दौर की कारों को डिजायन करने में तो इंजन से लेकर एयरकंडिशनिंग तक, सब कुछ सिम्युलेटर के जरिए ही होता है. नया सुपरकंप्यूटर अपनी चिपों को ठंडा करने के लिए पानी का इस्तेमाल करता है और इससे ऊर्जा बचाने में मदद मिल रही है. बोडे ने कहा, "सामान्य रूप से चिप 70-80 डिग्री के ताप पर ठीक से काम करते हैं. पानी अतिरिक्त गर्मी को हवा की तुलना में ज्यादा असरदार तरीके से दूर कर देता है."

बाडे बताते हैं कि पहले इस तरह के कंप्यूटर तो आधी ऊर्जा खुद को ठंडा करने में ही खर्च कर देते थे. सुपर एमयूसी ने इसे 10 से 20 फीसदी तक कम कर दिया है और इस तरह से हर साल करीब 10 लाख डॉलर की बचत होगी. कई सुपर कंप्यूटर के चिपों को ठंडा करने के लिए पंखे लगाए गए हैं जो इतना ज्यादा शोर करते हैं कि बिना कान बंद किए आप कंप्यूटर रूम में जा ही नहीं सकते.

एनआर/ एमजी (डीपीए)

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