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यूरोप में भी बढ़ा मीडिया पर दबाव

२५ अप्रैल २०१८

प्रेस पर हमलों की बात होती है तो अक्सर विकासशील और गरीब देशों के बारे में सोचा जाता है, लेकिन पिछले साल प्रेस स्वतंत्रता की जितनी बुरी हालत यूरोप में रही है, उतनी कहीं नहीं.

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Berlin Tag der Pressefreiheit
तस्वीर: Imago/IPON

पत्रकारों के संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स का कहना है कि पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और चेक गणतंत्र जैसे देशों में मीडिया ने सरकारों और प्रमुख राजनीतिज्ञों के मीडिया विरोधी हमले झेले हैं. प्रेस स्वतंत्रता पर बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी एक स्थान बेहतर होकर 15वें स्थान पर पहुंच गया है. रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स की प्रवक्ता कात्या ग्लोगर का कहना है कि "पॉपुलिस्ट ताकतों के प्रसार के समय में " पत्रकारों के खिलाफ नफरत और अनादर का अभियान "आग से खेलने जैसा है." अब यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में भी ये देखने को मिल रहा है. नई सूची में जो पांच देश पायदान में तेजी से गिरे हैं, उनमें से चार यूरोप में हैं. माल्टा, चेक गणतंत्र, स्लोवाकिया और सर्बिया.

सबसे तेजी से नीचे गिरने वाला माल्टा 18 पायदान गिरकर 65वें स्थान पर पहुंच गया है. इंवेस्टिगेटिव पत्रकार डाफ्ने कारुआना गलित्शिया की हत्या ने साफ कर दिया कि यूरोपीय संघ के इस सदस्य देश में राजनीति, न्याय व्यवस्था और अर्थव्यवस्था एक दूसरे के साथ कितने गुंथे हुए हैं.सरकार हिलाने वाली पत्रकार की हत्या

अंतरराष्ट्रीय सूची में स्थान के हिसाब से जर्मनी अभी भी मध्यवर्ग में जमा हुआ है. रिपोर्टर्स विदाउड बोर्डर्स ने पत्रकारों पर हमलों, धमकियों और डराने धमकाने के प्रयासों की बड़ी संख्या की आलोचना की है, खासकर पिछले साल जुलाई में हैम्बर्ग में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान. संगठन ने जर्मनी में पत्रकारों पर कम से कम 16 हिंसक हमलों को रिकॉर्ड किया है. पत्रकारों का संगठन पिछले साल लागू हुए बीएनडी कानून को भी समस्याजनक मानता है जो जर्मनी की खुफिया सेवा को यूरोप के बाहर के देशों में पत्रकारों की निगरानी का अधिकार देता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के पहले साल में अमेरिका भी प्रेस की आजादी के मामले में दो पायदान नीचे गिरकर 45वें स्थान पर पहुंच गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप अप्रिय मीडिया को झूठा कहते नहीं थकते और पत्रकारों को उन्होंने जनता का दुश्मन भी बताया है. रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स के अनुसार तुर्की पत्रकारों के लिए सबसे बड़ी जेल है. वहां किसी भी दूसरे देश के मुकाबले सबसे ज्यादा पत्रकार जेल में बंद हैं. प्रेस आजादी की सूची में तुर्की इस साल दो पायदान गिरकर 157वें नंबर पर पहुंच गया है.

सबसे अच्छा प्रदर्शन पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया ने किया है जो सूची में 143वें स्थान से ऊपर चढ़कर 122वें स्थान पर पहुंच गया है. 2016 में लंबे समय से शासन कर रहे याह्या जामेह के पद छोड़ने के बाद वहां मीडिया की तेजी से प्रगति हुई है. रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स के अनुसार 180 देशों वाली सूची में नॉर्वे, स्वीडन और नीदरलैंड्स सबसे ऊपर हैं. सूची में सबसे नीचे पिछले साल की ही तरह तुर्कमेनिस्तान, एरिट्रिया और उत्तरी कोरिया हैं. 

एमजे/एके (एएफपी)