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राहतकर्मियों की हत्या की निंदा

८ अगस्त २०१०

अफगानिस्तान में ईसाई राहतकर्मियों की हत्या पर शोक और अफसोस व्यक्त किया जा रहा है. उत्तरी अफगानिस्तान में दस लोगों की हत्या कर दी गई जो आंख के एक अस्पताल में काम करते थे.

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मिशन का दफ्तरतस्वीर: AP

जर्मन सरकार ने कायराना हत्या की निंदा करते हुए अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग की है. सरकार की उपप्रवक्ता सबीने हाइमबाख ने कहा है कि यह घटना अफगानिस्तान में स्थिति को स्थिर बनाने के लिए लक्ष्यबद्ध तरीके से काम करने की ज़रूरत दिखाती है. फ्रांस के विदेश मंत्री बैर्नार्ड कूशनैर ने हत्या को विशेष प्रकार की कायराना और बर्बर कार्रवाई बताया है. उन्होंने कहा कि मानव जीवन के लिए गहरे निरादर को दिखाता है.

हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है. पुलिस सूत्रों के अनुसार मारे गए लोग काबुल में आंखों के एक क्लीनिक के लिए काम करते थे. वे ईसाई राहत संस्था इंटरनैशनल एसिस्टैंस मिशन के सदस्य थे. मिशन के निदेशक डिर्क फ्रांस ने कहा है कि मृतकों में छह अमेरिकी, एक जर्मन, एक ब्रिटिश और दो अफगान हैं. वे इलाके में चिकित्सीय सहायता दे रहे थे. मिशन हत्या की औपचारिक पुष्टि जांच के बाद ही कर सकता है.

Afghanistan Nuristan Pakistan Karte
तस्वीर: DW-TV

जर्मन समाचार एजेसी के अनुसार तालिबान का शिकार होने वाली एक जर्मन महिला है. इंटरनैशनल एसिस्टैंस मिशन के साथ सहयोग करने वाला जर्मनी का क्रिस्टोफेल नेत्रहीन मिशन फिलहाल अफगानिस्तान में अपने प्रोजेक्ट को बंद कर रहा है.

तालिबान के प्रवक्ता सबीउल्लाह मुजाहिद ने डीपीए को फोन पर बताया है कि यह दल ईसाई मिशनरी का था जो इलाके में खुफिया सूचना इकट्ठा कर रहा था. "हमने उनके पास खुफिया दस्तावेज पाया." पुलिस के अनुसार हत्याकांड गुरुवार को सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में हुआ जो अपेक्षाकृत शांत बादाखशान प्रांत और खतरनाक प्रांत नूरीस्तान की सीमा पर है.

सत्ताधारी सीडीयू पार्टी के संसदीय दल के नेता फोल्कर काउडर ने कहा है कि यह बर्बर घटना दिखाती है कि अफगानिस्तान में स्थिति अभी भी मुश्किल और खतरनाक है. ग्रीन पार्टी के संसदीय दल के नेता युरगेन ट्रिटिन ने जर्मन सरकार से यह साफ करने की मांग की है कि सैनिकों की वापसी तक उसका लक्ष्य क्या है और वह तालिबान के साथ किन शर्तों पर समझौता करना चाहती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ओ सिंह