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समाज

ललिता से ललित बना पुलिस कॉन्स्टेबल

१५ जून २०१८

आम तौर पर लोग समलैंगिकता या सेक्स परिवर्तन जैसे मुद्दों को लेकर असहज होते हैं लेकिन महाराष्ट्र बीड के 24 वर्षीय ललित साल्वे को गांव और सरकार का जो समर्थन मिला वह काबिलेतारीफ है.

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Deutschland | Geschlechtsneutrale, barrierefreie Toilette
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Duenzl

ललिता जब 20 साल की थीं तब उनकी नौकरी महाराष्ट्र पुलिस में बतौर महिला कॉन्स्टेबल लगी. कुछ वक्त बाद उन्होंने महसूस किया कि उनके जननांगों के पास गांठ बन गई है. डॉक्टर के पास गईं तो मालूम चला कि शरीर में पुरुषों वाले हार्मोन ज्यादा सक्रिय हैं और इसका इलाज सेक्स परिवर्तन कराकर ही किया जा सकता है.

यह सुनकर ललिता सकते में आ गईं क्योंकि उन्होंने कभी ऐसा कुछ सुना ही नहीं था. साथ ही वे शरीर में हार्मोन के बढ़ने के कारण बेचैन भी रहने लगीं. अपनी बेटी की घुटन को देखते हुए माता पिता ने मुंबई के जेजे अस्पताल में सर्जरी कराने का फैसला किया. 2015 में ललिता ने पुलिस विभाग से एक महीने की छुट्टी मांगी जो नहीं मिली. बतौर ललिता, उसके सीनियर अफसरों ने कहा कि पुलिस गाइडलाइन में कहीं यह नहीं लिखा कि अगर कोई कर्मचारी सेक्स बदलवाना चाहे, तो क्या करना चाहिए. उसकी नियुक्ति महिला कॉन्स्टेबल के पद पर हुई है, तो कैसे उसे पुरुष कॉन्स्टेबल माना जाए, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं हैं.

कई कोशिशों के बाद नवंबर 2017 में ललिता ने हाई कोर्ट में अपील की और उन्हें सर्जरी कराने व पुरुष कॉन्स्टेबल के रूप में पहचाने जाने की अनुमति मिली. मीडिया और संगठनों के समर्थन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनवीस ने मामले में दखल दिया और पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि ललिता का केस अपवाद माना जाए और उन्हें पुरुष कॉन्स्टेबल माना जाए.

महाराष्ट्र सरकार की मदद और गांव वालों के समर्थन के बाद ललिता की बीते 25 मई को सर्जरी हुई. अब वह ललिता से ललित बन कर घर आ चुके हैं. गांव वालों ने पटाखे फोड़ कर और मिठाई बांट कर ललित का स्वागत किया. जो पड़ोसी पहले कभी ललिता के इस कदम का मजाक बनाया करते थे, वे भी अब समर्थन दे रहे हैं. ललित का कहना है कि इन दो सालों में उन्हें काफी तनाव रहा लेकिन विरोधियों से ज्यादा मदद करने वाले लोग मिले जिसके वह शुक्रगुजार हैं. वे जल्द ही महाराष्ट्र पुलिस की नौकरी दोबारा जॉइन करेंगे.

ललित साल्वे ने तो जंग जीत ली है लेकिन भारतीय नौसेना के एक अफसर की लड़ाई अभी जारी है. विशाखापट्टनम नेवी बेस में शाबी गिरी ने सात साल पहले बतौर मरीन इंजीनियर काम करना शुरू किया. 2016 में उन्होंने सेक्स परिवर्तन कराया और सर्जरी की जानकारी नेवी को दी. नौसेना ने शाबी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया क्योंकि नियमों के अनुसार, नेवी में ट्रांसजेंडर्स के लिए नौकरी की मनाही है. फिलहाल यह केस रक्षा मंत्रालय के पास है और इस पर विचार किया जा रहा है.

विनम्रता चतुर्वेदी 

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