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समाज

'लव जिहाद' के मुद्दे को उठाने पर महिला आयोग की निंदा

चारु कार्तिकेय
२१ अक्टूबर २०२०

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा द्वारा 'लव जिहाद' के मुद्दे को उठाने से विवाद खड़ा हो गया है. सवाल उठ रहे हैं कि आयोग अंतर धार्मिक विवाहों को एक साजिश बताने वालों का साथ क्यों दे रहा है.

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Indien Hindu-Nationalisten fordern den Bau eines Tempels
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

आयोग ने ट्वीट किया था कि रेखा शर्मा ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से मुलाकात में राज्य में बढ़ते 'लव जिहाद' के मामलों के बार में चर्चा की थी. "लव-जिहाद" मुस्लिम-विरोधी विचारधारा वाले कुछ लोगों द्वारा इजाद की गई शब्दावली है जिससे वो लोग अंतर-धार्मिक विवाहों को निशाना बनाते हैं. उनका आरोप है कि मुस्लिम पुरुष एक षडयंत्र के तहत हिन्दू महिलाओं को अपने "प्रेम में फंसा कर" उनसे विवाह करते हैं और फिर जबरन उनका धर्मांतरण करवा देते हैं.

खुद केंद्र सरकार संसद में दिए एक बयान में कह चुकी है कि 'लव जिहाद' जैसी किसी अवधारणा को भारतीय कानून में परिभाषित नहीं किया है और लिहाजा, इसका कोई भी मामला सरकार के संज्ञान में नहीं आया है. इसके बावजूद क्यों केंद्र सरकार की एक वैधानिक संस्था ने इस शब्दावली का इस्तेमाल किया यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.

शर्मा ने इस विषय पर कोई सफाई नहीं दी है और सोशल मीडिया पर कड़ी निंदा और विरोध का सामना करने के बाद ट्विट्टर पर अपने अकाउंट को लॉक कर दिया है. आयोग ने यह मुद्दा ऐसे समय पर उठाया है जब अंतर-धार्मिक विवाह पर बने आभूषणों की एक कंपनी के विज्ञापन का कुछ लोग कई जगह सुनियोजित रूप से विरोध कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन के खिलाफ मुहिम चलाने के अलावा कुछ राज्यों में कंपनी की दुकानों पर हमले भी किए गए हैं और दुकानों के मैनेजरों से जबरदस्ती माफीनामे लिखवाए गए हैं. टाटा समूह की कंपनी तनिष्क के इस विज्ञापन में एक मुस्लिम परिवार को अपनी हिन्दू बहू के लिए गोद-भराई की रस्म आयोजित करते हुए दिखाया गया था.

वीडियो के अंत में बहू अपनी सास से कहती है, "पर यह रस्म तो आपके घर में होती भी नहीं है ना?", जिस पर उसकी सास जवाब देती हैं, "पर बिटिया को खुश रखने की रस्म तो हर घर में होती है ना." सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस विज्ञापन की आलोचना की थी और आरोप लगाया कि यह "लव-जिहाद" को बढ़ावा देता है.

विज्ञापन का विरोध होने के बाद कंपनी ने उसे वापस ले लिया था. इस बीच एक वैधानिक संस्था होने के बावजूद 'लव जिहाद' जैसे मामले को उठाने के लिए आयोग की कड़ी निंदा हो रही है. पत्रकार जयराज सिंह ने ट्विट्टर पर लिखा कि महिला आयोग को इससे बेहतर अध्यक्ष मिलना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाली अधिवक्ता करुणा नंदी ने एक ट्वीट में कहा कि एक महिला विरोधी व्यक्ति को महिला आयोग का अध्यक्ष बना कर सरकार ने यह दिखाया है कि उसे महिलाओं के अधिकारों की कोई परवाह नहीं है. 

ट्विट्टर पर रेखा शर्मा के कई पुराने ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट भी लोगों ने साझा किए और यह कहा कि ये ट्वीट उनकी महिला विरोधी मानसिकता का सबूत हैं.

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