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लीक दस्तावेज देने वाला कौन, विकीलीक्स को पता नहीं

२९ जुलाई २०१०

विकीलीक्स ने दावा किया है कि 91 हजार खुफिया अमेरिकी दस्तावेजों को लीक करने वाले व्यक्ति के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. अमेरिका ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में काम कर रहे लोगों की जान को खतरा बताया.

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विकीलीक्स के जूलियन असांजेतस्वीर: picture alliance/dpa

एडिटर इन चीफ जूलियन असांजे ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या उन्हें वाकई में नहीं पता कि खुफिया दस्तावेजों को भेजने वाला कौन है या फिर वह पक्के तौर पर उस व्यक्ति को नहीं जानते. लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि अगर इस तरह के मामलों में गोपनीयता बरती जाए तो खुफिया एजेंसियों और अन्य गुटों से विकीलीक्स साइट की मदद करने वाले स्रोत की सुरक्षा हो सकती है.

लंदन के फ्रंटलाइन क्लब में जूलियन असांजे ने कहा, "हम कभी भी लीक करने वाले स्रोत को नहीं जानते. हमारा पूरा सिस्टम ऐसे बना हुआ है कि हमें राज रखने की जरूरत ही नहीं है."

अमेरिका का कहना है विकीलीक्स पर जिस तरह अहम जानकारियां सार्वजनिक हुई हैं उसके चलते अफगानिस्तान और पाकिस्तान में काम कर रहे कई लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कहा है कि इतनी अहम जानकारी का लीक होना कई लोगों की जान और अभियान की सफलता को खतरे में डाल सकता है.

अमेरिका के अटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर ने कहा कि रक्षा मंत्रालय पेंटागन पूरे मामले की जांच के बाद फैसला करेगा कि आपराधिक मामला चलाया जाना चाहिए या फिर नहीं. बगदाद में अमेरिकी के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ माइक मुलेन ने कहा कि खुफिया जानकारी के लीक होने से उन्हें धक्का लगा है. मुलेन को भी डर है कि कई अमेरिकियों की जान को खतरा हो सकता है.

असांजे ने यह तो माना कि गुमनाम होकर विकीलीक्स को खुफिया दस्तावेज देने से उनकी प्रमाणिकता पर सवाल उठ सकता है लेकिन वह यह कहना नहीं भूले कि अभी तक फर्जी दस्तावेज का कोई मामला सामने नहीं आया है. असांजे के मुताबिक विकीलीक्स लीक हुए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए पूर्व सैन्य अधिकारियों और खुफिया अधिकारियों की मदद लेता है.

जो दस्तावेज लीक हुए हैं उनमें नैटो की इस चिंता को जाहिर किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने तालिबान की मदद की है. लीक हुए दस्तावेज बताते हैं कि आईएसआई और तालिबान ऐसे गुटों को तैयार करने की योजना बना रहा है जो अमेरिकी सैनिकों से टक्कर ले सकें. इनमें से ज्यादातर रिपोर्टें 2004 से 2009 तक की हैं. हालांकि इस आरोप को पाकिस्तान सरकार सिरे से खारिज करता आया है. इसके अलावा दस्तावेजों ने ऐसी 100 से ज्यादा घटनाओं के बारे में बताया है जब नैटो सेनाओं के हाथों आम नागरिकों की जानें गईं. लेकिन इन घटनाओं को बाहर नहीं आने दिया गया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: वी कुमार