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समाज

लुफ्थांसा लेकर आया भारत में फंसे जर्मन पर्यटकों को

महेश झा
२६ मार्च २०२०

भारत में फंसे जर्मन पर्यटकों और जर्मनी में काम करने वाले भारतीयों को लेकर पहला विमान गुरुवार को जर्मनी पहुंचा. 500 लोगों की दूसरी खेप शुक्रवार को नई दिल्ली से रवाना हुई.

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Kurzarbeit Corona-Krise Flaggen Lufthansa Flughafen Frankfurt
तस्वीर: picture-alliance/W. Rothermel

कोलोन के सांस्कृतिक राजदूत किरण मलहोत्रा इन दिनों हर साल भारत के दौरे पर होते हैं. भारतीय मूल के मलहोत्रा इस दौरे का इस्तेमाल सालाना छुट्टियों के अलावा कोलोन के लिए भारतीय पार्टनर जुटाने में भी करते हैं. उनके प्रयासों का भी नतीजा रहा है कि पिछले सालों में भारत के साथ कोलोन के संस्थानों के रिश्ते बढ़े हैं और बेहतर हुए हैं. लेकिन यह साल पिछले सालों से अलग है. भारत दौरे के आखिरी दिनों में वे न तो भारत में कहीं आ जा सकते थे और न ही नियोजित समय पर उनके लिए जर्मनी आना संभव था. कोरोना वायरस ने सारा प्रोग्राम इधर उधर कर दिया था.

पहले भारत ने जर्मनी और कुछ अन्य यूरोपीय देशों के नागरिकों को दिया वीजा रद्द किया, फिर इन देशों के नागरिकों और यहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों पर 15 अप्रैल तक आने की पाबंदी लगा दी. उसके बाद जब कोरोना के मामलों में तेजी आने लगी तो लुफ्थांसा ने अपनी उड़ानें रद्द कर दी. फिर एयर इंडिया ने उड़ानें रद्द की और उसके बाद भारत और जर्मनी दोनों ने ही अपनी सीमाओं को सील कर दिया. ये सब इतनी तेजी से हुआ कि भारत के विभिन्न इलाकों में जर्मन फंस गए. वे न तो भारत में कहीं आ जा सकते थे और न ही उनका भारत से बाहर निकलना संभव रहा.

ये हालत सिर्फ भारत में फंसे जर्मन पर्यटकों की नहीं थी. जर्मनी के लोग पर्यटन के मामले में विश्व चैंपियन माने जाते हैं. वे दुनिया भर में फंसे थे और डरे हुए थे. मिस्र में छुट्टी बिता रहे दो लोगों की तो कोरोना की वजह से मौत भी हो गई. सोचिए आप दौरे पर हों, दूर दराज के इलाके में हों और बीमार हो जाएं. यह डर खासकर कोरोना के जमाने में सिर चढ़कर बोलता है. बाहर आप घूमने तो निकलते हैं लेकिन मुश्किल पड जाने पर वहां की सुविधाओं और चिकित्सा सेवाओं पर आपका भरोसा नहीं होता. जिसे आप नहीं जानते उस पर भरोसा हो भी तो कैसे हो. लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है, मुश्किल के वक्त लोग अपनों के बीच होना चाहते हैं. भारत में फंसे लोगों में भी एक तरह की चिंता देखी जा सकती थी.

तेजी से बदल रहे परिवेश में भी जर्मनी दुनिया में बाहर घूम रहे अपने लोगों की चिंता कर रहा था, उन्हें वापस लाने की तैयारी कर रहा था. हालांकि जर्मन दूतावासों ने लोगों से जल्द देश वापस लौटने की चेतावनी देनी शुरू कर दी थी, लेकिन यह इतना आसान नहीं था. करीब 2 लाख जर्मन विदेशों में थे जिन्हें वापस लाया जाना था. जर्मनी ने पर्यटकों को वापस लाने का अभियान शुरू करने के बाद करीब डेढ़ लाख लोगों को वापस कर लिया गया. लेकिन अभी भी दसियों हजार बाहर थे. और उनमें करीब पांच हजार भारत के अलग अलग हिस्सों में फैले थे.

Indien Neu Delhi Deutsche Botschaft Evakuierung von Deutschen
फ्लाइट से पहले दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास में योगा करते जर्मन लोग तस्वीर: Ajay Sharma

दिल्ली में जर्मन दूतावास उन्हें लाने की तैयारी में लगा था. जर्मन दूतावास के प्रवक्ता हंस क्रिस्टियान विंकलर बताते हैं कि जर्मन दूतावास में एक बड़ा क्राइसिस रिएक्शन सेंटर काम कर रहा था, "50 से ज्यादा कलीग तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं." काम भी आसान नहीं था. लोग पूरे भारत में फैले थे. पहले उनका पता करना, उनकी राय जानना कि वे वापस लौटना चाहते हैं या नहीं और फिर उनको वापस भेजने की तैयारी करना. दूतावास ने सबसे वापसी की इच्छा रखने वाले लोगों को एक ऑनलाइन रजिस्टर में नाम, पता और फोन दर्ज करने को कहा. फिर सारी व्यवस्था हो जाने के बाद उनसे संपर्क किया गया और उन्हें दिल्ली आने को कहा गया.

सामान्य समय में तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होती. लेकिन सामान्य समय में ऐसी वापसियों का आयोजन भी नहीं होता और कोरोना का समय सामान्य समय नहीं है. भारत भी कोरोना की चपेट में है और इक्का दुक्का जिलों के बाद अब सारा भारत लॉकडाउन है. तैयारी की मुश्किलों के बारे में राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने कहा, "कर्फ्यू की स्थिति में ए380 विमान की दो वापसी उड़ानों की व्यवस्था करना आसान नहीं. लेकिन हमें इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद ऋषिकेश से 130 सैलानियों को दिल्ली लाने में सफलता मिली, कुछ जयपुर से भी." राजदूत लिंडनर का कहना है कि पुलिस के सहयोग और साहसी साथियों के समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता.

Indien Neu Delhi Deutsche Botschaft Evakuierung von Deutschen
दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास में लोगों को समझाते हुए राजदूत वाल्टर जे लिंडनरतस्वीर: German Embassy in India

गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली से चलकर जर्मनी पहुंची उड़ानों में 500-500 लोग वापस जर्मनी लौटे हैं. इनमें जर्मन पर्यटकों के अलावा जर्मनी में रहने और काम करने वाले लोग भी हैं. इनके अलावा इन उड़ानों में यूरोपीय संघ के कुछ नागरिक भी थे. दिल्ली के आस पास के लोग तो वापस जर्मनी पहुंच गए हैं लेकिन मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों के आसपास गए कुछ हजार लोग अभी भी भारत में फंसे हैं. कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने वापसी के लिए अपना नाम रजिस्टर कराया था लेकिन दूतावास उनसे संपर्क नहीं कर पाया. दूतावास का क्राइसिस रिएक्शन सेंटर अब बाकी बचे लोगों की वापसी की तैयारी में लग गया है.

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