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लेवरकूज़ेन का चैंपियन बनने का सपना

१७ अगस्त २०१०

1904 में उसकी स्थापना हुई, लेकिन उसे एक परंपरागत फ़ुटबॉल क्लब मानने के बजाय अक्सर प्लास्टिक क्लब कहकर उसका मज़ाक उड़ाया जाता है.

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बालाक को घर मिला.तस्वीर: picture-alliance/dpa

वजह यह है कि औपचारिक रूप से वह 1999 से एक लिमिटेड संस्थान है, जिसके सारे शेयरों का मालिक है ड्रग कंपनी बायर.

बायर लेवरकूज़ेन कोलोन के पास स्थित नगर लेवरकूज़ेन का क्लब है. 1979 में वह दूसरी लीग से बुंडेसलीगा में आया, और तब से वहीं बना हुआ है. 1988 में उएफ़ा कप जीतने के साथ वह यूरोपीय प्रतियोगिता में जीत हासिल करने वाले आठ जर्मन क्लबों में से एक हो गया है. सन 2002 में वह चैंपियंस लीग के फ़ाइनल में पहुंचा था, बार-बार उसे बुंडेसलीगा में दूसरा स्थान मिला है. लेकिन चैंपियन वह आज तक नहीं बन पाया.

लेकिन इस बार उम्मीद है. कप्तान सिमोन रोल्फ़ेज़ और राष्ट्रीय टीम के संभावित कप्तान मिषाएल बालाक के साथ मध्य मैदान में उसकी ज़बरदस्त स्थिति है, स्ट्राइकर के रूप में स्तेफ़ान कीसलिंग हैं और गोलकीपर रेने आडलर. पिछले साल से युप हाइनकेस टीम के कोच हैं, जिन्हें जर्मन फ़ुटबॉल का एक सफल कोच माना जाता है. मसाले मौजूद हैं, सवाल है कि पकाया कैसे जाएगा.

1988 में राइनर कालमुंड फ़ुटबॉल विभाग के मैनेजर बने, और उनके प्रबंधन में बायर लेवरकूज़ेन को काफ़ी कामयाबी मिली. जर्मन एकीकरण के बाद वे पूरब के मशहूर खिलाड़ियों उल्फ़ किर्स्टेन, आंद्रेयास थोम और येंस मेलत्सिष को लेवरकूज़ेन ले आए. साथ ही ब्राज़ील के स्पोर्टस् एजेंट जुआन फ़िगर से उनके निकट संपर्क थे, जिसकी वजह से जोर्गिन्हो या पाउलो सेर्जियो जैसे कई खिलाड़ियों को बायर लेवरकूज़ेन की टीम में शामिल किया जा सका. इसके अलावा बैर्न्ड शुस्टर और रूडी फोएलर जैसे लोकप्रिय पूर्व खिलाड़ी टीम के साथ जुड़े और पॉपुलरिटी के भूखे क्लब के अनेक नए फ़ैन्स हुए.

बायर लेवरकूज़ेन के 355 फ़ैन क्लब हैं, जिनके 25 हज़ार सदस्य हैं. क्लब को उम्मीद है कि सफलता का क्रम अगर जारी रहे, तो सदस्य बढ़ेंगे. पिछले सीज़न में उसे बुंडेसलीगा तालिका में चौथा स्थान मिला था. क्लब को इस बार बेहतरी की उम्मीद है.

लेख - उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन - ए जमाल