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लोकतंत्र बदलावों में मजबूत होता है: मैर्केल

३१ दिसम्बर २०१८

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने जनता से मजबूत यूरोपीय संघ के विचार को ताकतवर बनाने की अपील की है. अपने नव वर्ष के संबोधन में मैर्केल ने अंतरराष्ट्रीय संकटों को जर्मनी के लिए बड़ी जिम्मेदारी बताया.

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Deutschland - Neujahrsansprache Bundeskanzlerin Angela Merkel ***ACHTUNG SPERRFRIST
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AFP/J. MacDougal

पारंपरिक नव वर्ष संबोधन की शुरूआत जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने "प्रिय साथी नागरिकों" कहते हुए की. उनके ये शब्द जर्मनी की सीमा के बाहर भी संजीदगी से सुने जाने चाहिए. अंगेला मैर्केल ने जब यह कहा कि वह "बेहद मुश्किल राजनीतिक वर्ष" देखती हैं तो उनका नजरिया इन दो छोरों था, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय.

चांसलर ने संबोधन की शुरूआत जर्मनी के भीतर झांकते हुए की. 2017 के आम चुनावों के बाद सरकार बनाने के लिए लंबी और मुश्किल प्रक्रिया चली. यह प्रक्रिया छह महीने चली "और एक बार सरकार बनते ही हमारे बीच के झगड़े और पूर्वव्यस्तताएं सामने आईं." क्रिश्चियन डेमोक्रैट्स यूनियन (सीडीयू) की नेता मैर्केल ने किसी का नाम लेते हुए उदाहरण नहीं दिया. लेकिन दो झगड़े साफ जाहिर थे, बवेरिया राज्य की सहोदर पार्टी सीडीयू के आंतरिक मामलों के मंत्री होर्स्ट जेहोफर के साथ लगातार विवाद और गठबंधन पार्टी सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) के साथ तकरार. इन दोनों ही विवादों के केंद्र में जर्मनी की आप्रवासन नीति रही.

अहम सवाल: जलवायु परिवर्तन, आप्रवासन, आतंकवाद

मैर्केल गठबंधन के बीच एक तनाव भरा माहौल नहीं चाहती हैं. इसीलिए उन्होंने साफ जता दिया कि 2021 में कार्यकाल पूरा करते ही वह चांसलर पद से हट जाएंगी. मैर्केल 13 साल से जर्मनी की चांसलर हैं. उन्होंने कहा, "हमने उसी से निर्माण किया जो हमारे पूर्ववर्तियों ने हमारे लिए छोड़ा था." और हमने वर्तमान को आगामी नेतृत्व के लिए आकार दिया है. मैर्केल ने लोकतांत्रिक मूल्यों का हवाला देते हुए कहा, "लोकतंत्र, बदलावों से मजबूत होता है."

मैर्केल ने भरोसा जताया कि बदलावों का फायदा तभी उठाया जा सकता है, जब "हम एकजुट हों और सीमा पार कर अन्य लोगों के साथ काम करें." यह बदलाव न सिर्फ "जलवायु परिवर्तन जैसे अहम सवाल" से जुड़े हैं, बल्कि इनका नाता आप्रवासन और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ युद्ध से भी है, "हम ये सारे सवाल हल करना चाहते हैं क्योंकि यह हमारे हित में है."

सुरक्षा परिषद में जर्मनी की भूमिका

कई चुनौतियों को स्वीकार करने की इच्छा के पीछे कई शंकाएं भी छुपी हैं. मैर्केल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग का परपंरागत ढांचा दबाव में आ चुका है. लेकिन एक बार फिर उन्होंने इसका कोई उदाहरण नहीं दिया. अटलांटिक महासागर के दोनों तरफ यूरोप और अमेरिका में राष्ट्रवादी राजनीति जोर पकड़ रही है. मैर्केल ने अपने संबोधन में कहा, "ऐसी परिस्थितियों में, हमें अपने विश्वासों के लिए वकालत और बहस करनी होगी, उनके लिए ज्यादा दृढ़ता से लड़ना होगा."

एक जनवरी से जर्मनी को दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट मिली है. इसका जिक्र करते हुए मैर्केल ने कहा, जर्मनी "वैश्विक" समाधानों की वकालत करेगा, "हम मानवीय मदद और विकास संबंधित वित्तीय मदद को बढ़ाते रहेंगे, और हम अपने रक्षा खर्च को भी बढ़ाएंगे." जर्मन चांसलर ने यह भी कहा कि "जर्मनी यूरोपीय संघ को ज्यादा सुदृढ़ और क्षमतावान" बनाने की कोशिश करता रहेगा. ईयू से बाहर निकलने के बावजूद यूके के साथ "करीबी साझेदारी" का भी उन्होंने जिक्र किया. जर्मन नागरिकों से अपील करते हुए मैर्केल ने कहा, यूरोपीय संघ को "शांति, समृद्धि और सुरक्षा का प्रोजेक्ट" बनाने में मदद करें.

'खुलापन, सहिष्णुता और सम्मान'

संबोधन के अंत में मैर्केल ने एक बार फिर जर्मनी का जिक्र किया. हर नागरिक को "जीवन जीने के लिए समान आधार" मुहैया कराने को उन्होंने सरकार का लक्ष्य बनाया. उन्होंने कहा कि जर्मन सरकार यह तय करना चाहती है कि, "शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य सेवा तक हर किसी अच्छी पहुंच हो." सरकार इन समस्याओं से निपटने के लिए "बेहतरीन समाधान" तलाश रही है.

आखिर में जर्मन चांसलर ने कहा, यह सब कुछ "हमारे संवाद के तरीके, हमारे मूल्यों: खुलापन, सहिष्णुता और सम्मान के बारे में है." देश के राजनीतिक माहौल पर उन्होंने चिंता जरूर जताई लेकिन साथ ही यह भी कहा, "जब हम अपने मूल्यों पर भरोसा रखते हैं और जोश के साथ अपने विचारों को अमल में लाते हैं तो कुछ नया और अच्छा निकल सकता है."

मार्सेल फुएर्स्टेनाऊ/ओएसजे