1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई के बाद शांति की उम्मीद?

मारिया जॉन सांचेज
२८ फ़रवरी २०१९

शांति और तनाव कम करने की बात करने वाले हर व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है. ऐसे में यदि स्वयं मोदी इमरान खान की पेशकश को मान कर तनाव कम करने लगेंगे, तो मतदाता उन्हें किस निगाह से देखेंगे?

https://p.dw.com/p/3EGJ7
Indien Protest für Freilassung des Kampf-Piloten in Pakistan
तस्वीर: AFP/D. Sakar

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की इस घोषणा से भारत में काफी राहत महसूस की जा रही है कि कल विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा कर दिया जाएगा. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होगा. लेकिन भारत और पाकिस्तान, दोनों की ही तरफ से पिछले दिनों जिस तरह के परस्पर-विरोधी संकेत आए हैं, उन्हें देखते हुए भविष्य के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ बहुत कड़ा रुख अपनाया था लेकिन सभी को चौंकाते हुए अपने कार्यकाल के पहले दो साल में लगातार उसके प्रति बेहद नरम रवैया प्रदर्शित किया. उसके बाद भी कभी नरम-कभी गरम वाली नीति ही अपनाई गई और कोई सुसंगत और सुचिंतित पाकिस्तान नीति तैयार करने की कोशिश नहीं की गई.

पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के बाद जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए हमले और पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमान गिराए जाने और विंग कमांडर अभिनंदन को बंदी बना लेने से स्थिति और जटिल हो गई. स्थिति इसलिए भी जटिल है क्योंकि नरेंद्र मोदी और इमरान खान के सामने अपनी-अपनी राजनीतिक विवशताएं हैं.

शीघ्र होने जा रहे लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए मोदी को यह दिखाना है कि उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है और उधर पाकिस्तानी सेना के समर्थन से लैस इमरान खान को यह दिखाना है कि पाकिस्तान अपने पारंपरिक शत्रु के सामने किसी भी तरह से कमजोर नहीं पड़ा है और ईंट का जवाब पत्थर से देने की हिम्मत रखता है. दोनों ही पर इस बात के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव भी है कि ऐसा कुछ भी न किया जाए जिससे तनाव बढ़े.

हालांकि पाकिस्तान के लिए जिनेवा कन्वेंशन के तहत भी यह कतई जरूरी नहीं है कि वह विंग कमांडर अभिनंदन को कल ही रिहा करे, लेकिन ऐसा करके इमरान खान पाकिस्तान की सदाशयता का सुबूत देना चाहते हैं. इस कदम से भारत में मोदी को भी फायदा हो सकता है क्योंकि इसकी यह व्याख्या की जा सकती है कि भारत से डर कर पाकिस्तान ने यह फैसला लिया और यह मोदी की पाकिस्तान नीति की जीत है. मीडिया तो यह भी कह रहा है कि इस पूरे प्रकरण में पाकिस्तान ने यह दिखा दिया है कि वह भी जब और जहां चाहे भारत पर हमला बोल सकता है. भारतीय विमान के गिराए जाने और पायलट के पकड़े जाने से मोदी बहुत सुर्खरु नहीं हुए है.

पाकिस्तान और आतंकवाद की विशेषज्ञ क्रिस्टीन फेयर का मानना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अगले चुनाव में मोदी को ही जीतते देखना चाहती है और दोनों देशों के बीच तनाव और सैनिक संघर्ष नूरा कुश्ती है. उधर भारतीय जनता पार्टी के कर्नाटक में नेता येदियुरप्पा ने खुले आम सार्वजनिक सभाओं में भाषण देना शुरू कर दिया है कि जैश के ठिकानों पर हवाई हमला करने से देश में मोदी लहर शुरू हो गई है जिसका चुनाव में लाभ मिलेगा और अकेले कर्नाटक में भाजपा बाईस सीटें जीत लेगी. क्योंकि इमरान खान ने संवाद के लिए आह्वान करने की पहल की है, इसलिए मोदी के लिए उसकी अनदेखी करना संभव नहीं होगा.

इसके विपरीत उनकी राजनीतिक मजबूरी तनाव का चुनावी लाभ लेकर दोबारा सत्ता में आना भी है. इन दोनों के बीच सामंजस्य बिठाना बहुत आसान नहीं होगा. भारतीय मीडिया, विशेषकर टीवी चैनल, पिछले कुछ दिनों से युद्धोन्माद पैदा करने में लगे हुए हैं और सारे युद्ध टीवी चैनलों के स्टूडियो में लड़े जा रहे हैं. ऐसे में शांति और तनाव कम करने की बात करने वाले हर व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है. यदि स्वयं मोदी तनाव कम करने लगेंगे तो पता नहीं मतदाता उन्हें किस निगाह से देखे. इसलिए अभी यह कहना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा.

कब कब टकराए भारत और पाकिस्तान

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें