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शुक्र पर ओजोन की परत, जीवन का संकेत

१० अक्टूबर २०११

सौर मंडल के दूसरे ग्रह शुक्र के वायुमंडल में ओजोन की परत का मिलना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी कुंजी है. दूसरे ग्रहों को समझने के लिए भी सहायता मिलेगी. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जीवन के संकेत इस ग्रह पर मिल सकते हैं.

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तस्वीर: ESA/AOES Medialab

वैज्ञानिक शुक्र ग्रह को कठोर और उथल पुथल वाला ग्रह बताते हैं और इसे नर्क की संज्ञा देते हैं. ऐसे में इस ग्रह पर ओजोन परत के अचानक मिलने से वैज्ञानिक आश्चर्य में हैं.

गुरुवार को यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने कहा कि वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान ने पाया है कि सूर्य के नजदीकी ग्रह पर वायुमंडल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ओजोन की परत का मिलना यहां जीवन के होने का संकेत भी साबित हो सकता है. हालांकि शुक्र पर मिली ओजोन की परत बहुत ही विरल है, इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि यह जीवन के कारण है. लेकिन धरती के वायुमंडल में मिलने वाली ओजोन परत से तुलना कर यह जरूर पता लगाया जा सकता है कि क्या कहीं और जीवन संभव है.

Ozon am Planet Venus
तस्वीर: ESA/AOES Medialab

'किस्मत से मिली'

वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान से मिली सूचनाओं का विश्लेषण करने के बाद ईएसए के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है. डॉयचे वेले से बातचीत में ईएसए के शोधकर्ता फ्रांक मोंटमेसिन ने बताया, "हमें गैस के संकेत मिले हैं. यह अचानक था. हमने ध्यान से स्पेक्ट्रम देखा और हमें कुछ अप्रत्याशित संकेत मिले."

वीनस एक्प्रेस में लगे हुए उपकरण वीनस के वायुमंडल से गुजरते हुए तारों की रोशनी में तरंग दैर्ध्य के बदलाव को नापता है. शोधकर्ता मोंटमेसिन मानते हैं कि इससे पहले मंगल पर ओजोन की परत का मिलना तुलनात्मक रूप से सामान्य बात थी.

जर्मन एरोस्पेस सेंटर में खगोल जीवविज्ञानी आन्या बाउअरमाइस्टर ने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया कि आंकड़े इसलिए भी विश्वसनीय हैं क्योंकि यह ग्रह के एकदम पास से लिए गए हैं.

क्या शुक्र पर जीवन है

अब हमारे सौर मंडल में पृथ्वी सहित मंगल और शुक्र पर ओजोन की परत मिली है. पृथ्वी पर जीवित जीव ऑक्सीजन बनाते हैं. इसे पराबैंगनी रोशनी वायुमंडल की ऊपरी सतह में तोड़ती है. यह अणु ऑक्सीजन के दूसरे अणुओं से मिलकर ओजोन की परत बनाते हैं. रेडिएशन को सोख कर ओजोन की परत ग्रह का तापमान कम करने में मदद करती है.

Ozonloch über der Arktis
तस्वीर: picture-alliance/dpa

बाउअरमाइस्टर कहती हैं कि माइक्रोब्स का शुक्र पर पाया जाना अटकलें हैं. वह कहती हैं, "सरल रूप में जीवन वहां ग्रह बनने के साथ ही पैदा हुआ हो सकता है." वीनस पर मिली इस परत का कारण ग्रह के वायुमंडल में सूरज की रोशनी का कार्बन डाइ ऑक्साइड में टूटना है.

मोंटमेसिन कहते हैं, "शुक्र बहुत ही कठोर ग्रह है. जैसा कि लोग कहते हैं यह बिलकुल नर्क जैसा है, गर्म और अम्लीय."

बायोसिगनेचर

ओजोन की परत अक्सर बायोसिगनेचर मानी जाती है, यानी जीवन का संकेत. बाउअरमाइस्टर कहती हैं, "अगर हमें ओजोन सौरमंडल से बाहर के किसी ग्रह पर मिलती है तो हम नहीं कह सकते कि याहू...हमें जीवन मिल गया है." एक्सो जीवविज्ञानी और खगोल विज्ञानियों का मानना है कि कार्बन डाई ऑक्साइड और ऑक्सीजन के साथ ओजोन का मिलना जीवन होने की संभावना को बल देता है. बाउअरमाइस्टर का कहना है कि मीथेन और ऑक्सीजन भी बायोसिगनेचर के लिए अच्छा है.

और जांच

मोंटमेसिन का कहना है कि शुक्र के वायुमंडल में मिली ओजोन ग्रह की सतह से सौ किलोमीटर दूर है. शुक्र पर सल्फ्यूरिक एसिड की परत इतनी मोटी है कि वीनस एक्प्रेस को ओजोन की और जांच करने में मुश्किल आ रही है. मोंटमेसिन कहते हैं कि शुक्र के वायुमंडल में गुब्बारे भेजे जा सकते हैं जो आगे की जांच करेंगे. हमें फिर से शुक्र पर जाना होगा और अलग तरह के आंकड़े लेने पड़ेंगे. तब पता लग सकेगा कि वहां जटिल जीव मौजूद हैं या नहीं.

रिपोर्टः सोन्या अंगेलिका डीह्न (आभा एम)

संपादनः वी कुमार

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