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सऊदी में फिर वापस आ जाएंगे धार्मिक रक्षक

१९ जून २०१९

पिछले कुछ समय से अपनी कट्टरवादी छवि तोड़ते हुए सऊदी आधुनिकता के रास्ते पर बढ़ रहा था. लेकिन अब सार्वजनिक शालीनता कानून ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. आम लोगों को धार्मिक पुलिस के सक्रिय होने का डर सताने लगा है.

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Russland Mohammed bin Salman
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/Pool/P. Golovkin

सऊदी अरब में उदारीकरण और बदलाव की कोशिशों के चलते पिछले कुछ समय से देश में आक्रामक मानी जाने वाली इस्लामिक धार्मिक पुलिस की सक्रियता लगभग खत्म हो गई थी. लेकिन अब नए "सार्वजनिक शालीनता" कानून की योजना ने विवाद पैदा कर दिया है. लोगों को डर है कि कहीं इस कानून के बाद नैतिकता और धर्म का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस फिर से सक्रिय ना हो जाए.

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले सालों में अपने देश की रुढ़िवादी छवि को बदलने के लिए कई कदम उठाए. इसी का नतीजा था कि देश में सिनेमा घर खुले, खेल, योग, क्रॉन्सर्ट सभी के लिए मौके नजर आए. माना गया कि क्राउन प्रिंस अपने देश को कट्टरपंथ से निकाल कर नरम इस्लाम की ओर ले जाना चाहते हैं.

हालांकि अब सऊदी एक नए "सार्वजनिक शालीनता कानून" पर विचार कर रहा है. अप्रैल में कैबिनेट की मंजूरी पा चुके इस कानून में पुलिस आम लोगों के व्यवहार पर नजर रखेगी. इस कानून का मकसद होगा सऊदी मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा करना. स्थानीय मीडिया के मुताबिक इसमें लोगों के कपड़ों से लेकर दीवारों पर ग्रैफिटी करना भी हानिकारक माना जा सकता है. जो भी कानून का उल्लंघन करेगा उस पर पांच हजार रियाल मतलब करीब 92 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. हालांकि अब तक इस कानून को लागू नहीं किया गया है.

स्कॉलर सुल्तान अल-अमेर ने ट्वीट कर कहा, "धार्मिक पुलिस अब बिना दाढ़ी के वापस आ गई है." दरअसल लंबे समय से धार्मिक पुलिस के दाढ़ी वाले रक्षक गलियों और मॉलों में चमकदार नेल पॉलिश लगाने वाली महिलाओं को सजा देने और पुरुषों और महिलाओं को सख्ती से दूर रखने के लिए कुख्यात रहे हैं. लेकिन हाल के सालों में इनका दखल आम जीवन में कम हो गया था.

लोगों को डर है कि इस व्यापक कानून के तहत कुछ भी आ सकता है.  छोटे से छोटे विवाद की भी मनचाहे तरीके से व्याख्या होगी और जिसके चलते देश में सजा और दंड देने का दौर बढ़ जाएगा. लोगों को तो ये भी चिंता है कि कानून को हल्के-फुल्के मजाक से लेकर सोशल मीडिया जैसी जगहों पर भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. सरकार के करीबी माने जाने वाले सऊदी थिंक टैंक 'अरेबिया फाउंडेशन' के संस्थापक अली शिहाबी कहते हैं, "इस कानून का मकसद समाज के रुढ़िवादी खेमे से बढ़ते दबाव को संतुलित करना है. रुढ़िवादी खेमा यह आरोप लगा रहा है कि सरकार की अनुमति के चलते स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है."

एए/आरपी (एएफपी)

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