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सात राज्यों में माओवादियों का 48 घंटे का बंद

२२ मार्च २०१०

माओवादियों ने सात राज्यों में 48 घंटे का बंद बुलाया है. इसके पहले दिन सोमवार सुबह उन्होंने पश्चिम बंगाल में विस्फोट किए और झारखंड में एक पुल उड़ा दिया है.

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सैनिक कार्रवाई के ख़िलाफ़ बंदतस्वीर: dpa

केंद्र सरकार के नक्सल विरोधी कार्रवाइयों के ख़िलाफ़ माओवादियों ने 48 घंटे का बंद बुलाया है. सोमवार को पहले दिन माओवादियों ने पश्चिम बंगाल में मिदनापुर और भालूखुनिया के बीच रेल की पटरी के पास उन्होंने बम विस्फोट किए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. इसी के साथ झारखंड में एक पुल भी उड़ाया गया है.

मिदनापुर के ज़िला मजिस्ट्रेट एनएस निगम ने बताया कि सोमवार सुबह इन बम धमाकों के कारण ट्रेन यातायात क़रीब तीन घंटे प्रभावित रहा.

अलग अलग मामलों में रविवार को 20 माओवादियों ने बाग़झप्पा ज़िले के एक गांव में सीपीआईएम के कार्यालय को आग लगा दी. चकुआ गांव में सीपीआईएम पार्टी के दो समर्थकों के घर जलाए जाने के भी समाचार हैं.

नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्र सरकार ने सैनिक कार्रवाई शुरू की थी जिसका माओवादियों ने कड़ा विरोध किया था. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत के भी आसार थे लेकिन हुआ कुछ नहीं.

भारत के गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा था कि माओवादी 2050 तक भारतीय लोकतंत्र को उखाड़ फेंकना चाहते हैं. उनके मुताबिक माओवादी इसके लिए हथियारों की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं. सरकार को आशंका है कि कुछ पूर्व सैनिक भी माओवादियों की मदद कर रहे हैं.

इसके बाद भारत सरकार को जवाब देते हुए माओवादियों ने कहा, 2050 से पहले ही सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लेंगे. माओवादियों के नेता किशनजी ने सरकार से कहा कि तुरंत बातचीत शुरू की जाए वरना बड़े शहरों पर हमले होने लगेंगे.

चेतावनी भरी नसीहत के अलावा माओवादियों ने आर्थिक और सामाजिक मुद्दों का हवाला भी दिया. माओवादियों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राय पर सहमति जताई और कहा कि खनन का ज़्यादातर पैसा खदान के आस पास के इलाके में ख़र्च किया जाना चाहिए. अब तक इस रक़म का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार के पास जाता है.

केंद्र की नीतियों की आलोचना करते हुए किशनजी ने कहा, ''हमारी पार्टी तो कुछ साल पहले ही सामने आई है. जब हम नहीं थे तब क्या हुआ था. सरकार ने आदिवासी कल्याण के लिए बीते 53 साल में क्या किया.''

रिपोर्टः पीटीआई/आभा मोंढे