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सुप्रीम कोर्ट: सलवा जुड़ूम असंवैधानिक है

५ जुलाई २०११

छत्तीसगढ़ में माओवादियों से लड़ने के लिए शुरू की गई सलवा जुड़ूम योजना और विशेष पुलिस अधिकारियों की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है. स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश.

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तस्वीर: AP

जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी और एसएस निज्जर की बेंच ने अपने आदेश में कहा, "हम सीबीआई को आदेश देते हैं कि हिंसा और स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले की वह जांच करे." कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र को कहा है कि आदिवासियों की विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) के तौर पर भर्ती रोकी जाए और माओवादियों से लड़ने के लिए उनका सीधे या परोक्ष रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. आदिवासी युवकों की एसपीओ के रूप में भर्ती किए जाने को कोर्ट ने असंवैधानिक बताया है.

कोर्ट के मुताबिक माओवादियों के खिलाफ लड़ने के लिए आदिवासियों के पास जरूरी ट्रेनिंग नहीं है और ऐसा करना कानून और संविधान के हिसाब से गलत है. कोया कमांडो का गठन और सलवा जुडूम योजना संविधान के खिलाफ है. माओवादियों के खिलाफ लड़ रहे विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) को दंतेवाड़ा के एक आदिवासी कबीले के नाम पर कोया कमांडो नाम दिया गया है.

माओवाद प्रभावित इलाकों में एसपीओ को तैयार किए जाने के मुद्दे पर कोर्ट में सुनवाई हुई. यह याचिका सलवा जुड़ूम योजना शुरू करने के खिलाफ दायर की गई है. इस योजना के तहत आदिवासियों को स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाकर हथियार दिए जा रहे हैं और माओवादियों से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है. हालांकि उन्हें उचित प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. इस याचिका को नंदिनी सुंदर, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, पूर्व नौकरशाह ईएएस शर्मा और अन्य लोगों ने दायर किया है.

स्वामी अग्निवेश पर हमले का मामला कोर्ट में इस साल अप्रैल में उठा. इससे पहले स्वामी अग्निवेश ने कहा कि सलवा जुड़ूम योजना अब भी चल रही है और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह इस मुद्दे पर दो तरह के बयान दे रहे हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिश के बावजूद एसपीओ अधिकारियों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

स्वामी अग्निवेश पर दंतेवाड़ा इलाके में हमला हुआ जिसमें कथित रूप से एसपीओ और सलवा जुड़ूम के "स्वैच्छिक कार्यकर्ता" शामिल थे. 4 मई को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने यह कहते हुए एसपीओ की भर्ती का बचाव किया कि उन्होंने फर्ज बखूबी निभाया है. सरकार के मुताबिक इससे सुरक्षा बलों को भी काफी मदद मिल रही है लेकिन कोर्ट का कहना है कि आदिवासियों को हथियार देना खतरनाक है और अगर वे सरकार के खिलाफ हो गए तो स्थिति घातक होगी और फिर ईश्वर ही इस देश का मालिक है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा

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