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हवा और जहरीली करेंगे भारत और चीन

७ जून २०१२

चीन और भारत बढ़ते यातायात के कारण और ज्यादा प्रदूषण की वजह बनेंगे. संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संस्था की ताजा रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में यातायात से होने वाले प्रदूषण का आधे से ज्यादा भारत और चीन में होगा.

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तस्वीर: picture alliance/Reinhard Kungel

यूएनईपी की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत और चीन यातायात से होने वाले आधे से ज्यादा प्रदूषण के जिम्मेदार होंगे. एशिया प्रशांत इलाका जलवायु परिवर्तन, पीने के पानी की कमी और प्रजातियों के विलुप्त होने और जहरीले कचरे की समस्या से जूझ रहा है.

यूएनईपी की रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि इन देशों को अपना प्रशासनिक ढांचा में सुधार करना होगा और विश्वसनीयता बेहतर करनी होगी. साथ ही टिकाऊ विकास के लिए नीतिगत फैसले लेने होंगे.

आबादी के मामले में चीन पहले स्थान पर है. भारत दूसरे नंबर पर है. चीन की जनसंख्या वृद्धि दर थमने लगी है. वहीं भारत में यह अब भी बढ़ रही है. भारत की आधी से ज्यादा आबादी युवा है. अच्छी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के अभाव में दोपहिया वाहन वहां यातायात का प्रमुख जरिया हैं. अब आर्थिक रूप से समर्थ होता मध्यमवर्ग तेजी से कार खरीद रहा है.

रिपोर्टों के मुताबिक 2005 की तुलना में दुनिया भर में यातायात से होने वाला प्रदूषण बढ़ कर 57 फीसदी हो जाएगा.

2008 के आंकड़े बताते हैं कि एशिया प्रशांत में अभी भी कम से कम 45 करोड़ लोगों को साफ पानी मुहैया नहीं होता. यह आंकड़ा दुनिया का 40 फीसदी है.

इतना ही नहीं इस इलाके में पाई जाने वाली जैव विविधता और जंगलों पर बढ़ती जनसंख्या के कारण लगातार दबाव बढ़ रहा है.

अफरा तफरी में विकास, बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और सुख सुविधाओं का उपभोग करने की बढ़ती आकांक्षा नई नई मुश्किलों को पैदा कर रही है और इन सब का सीधा असर इलाके के पर्यावरण पर पड़ रहा है. यूएनईपी की पांचवी ग्लोबल एनवायर्नमेंट आउटलुक रिपोर्ट बीजिंग में जारी की गई.

एएम/ओएसजे (पीटीआई)

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