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हवाई जहाज को खाक कर सकती है राख

२४ मई २०११

वायुमंडल में उड़ती ज्वालामुखी की राख हवाई जहाजों के लिए बेहद खतरनाक होती है. यही वजह है कि आइसलैंड के ज्वालमुखी से उठ रहा राख का गुबार एयरलाइन कंपनियों और पालयटों को उड़ान भरने से डरा रहा है. कैसे खतरा पैदा करती है राख.

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तस्वीर: picture-alliance/Kurt Zarski

एयरबस जैसे विमान बनाने वाली यूरोपीय कंपनी ईड्स के मुताबिक राख में उड़ान भरने से हमेशा बचा जाना चाहिए. कंपनी के मुताबिक पुराने अनुभवों से यह साबित हो चुका है कि राख की वजह से विमान को भारी नुकसान पहुंचता है. विमान हादसे का शिकार हो सकता है या फिर हमेशा के लिए बेकार हो सकता है. ईड्स के मुताबिक ज्वालामुखी की राख विमान के शीशों, इंजनों, वेंटिलेशन प्रणाली, हाइड्रॉलिक, इलेक्ट्रॉनिक और एयर डाटा सिस्टम को प्रभावित कर सकती है.

Schweiz Solar Impulse Solarflugzeug
तस्वीर: Solar Impulse/Fred Merz/ Revillard/Rezo.ch

बहुत सघनता वाली राख से गुजरने वाले हवाई जहाज के इंजन फेल हो सकते हैं. राख आग में किसी चीज के भस्म होने के बाद बची हुई चीज है. सामान्य तौर पर राख जलती नहीं है लेकिन तरल ईंधन के साथ मिलने पर राख का व्यवहार एक उत्प्रेरक जैसा हो जाता है. राख के ऊपर लगने वाली आग बहुत देर तक चलती है. उड़ान के दौरान राख विमान इंजन की ब्लेडों पर चिपकती है और ईंधन से मिलकर जलने लगती है. ऐसे में इंजन के भीतर का तापमान सुरक्षा की सीमा 750 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है. इससे ऊंचे तापमान पर धातु के गलने का खतरा पैदा हो जाता है.

गड़बड़ाता है सिस्टम

राख की वजह से इंजन का कंम्प्रेशन सिस्टम गड़बड़ाने लगता है. पूरी ताकत पर चलते समय कंम्प्रेशर प्रति सेंकेंड 1,200 किलोग्राम हवा विमान के भीतर खींचता है और इस हवा को 1,600 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से घुमाकर ईंधन से मिलाता है. ईंधन और हवा के मिश्रण में आग लगती है. ईँधन जलने के बाद हवा का वेग और बढ़ जाता है और यह तेजी से बाहर निकलती है, इसी से विमान को आगे बढ़ने की ताकत मिलती है. लेकिन राख के कण इस प्रक्रिया को गड़बड़ा देते हैं जिससे इंजन फेल होने का खतरा पैदा हो जाता है.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

इसके अलावा पंखों में राख की परत जमने से जहाज के बाहर हवा का बहाव अव्यवस्थित होने लगता है. उदाहरण के लिए अगर दाएं पंख पर राख की परत ज्यादा मोटी हुई या फिर टिकी रही तो विमान अपने आप दाईं ओर मुड़ने लगेगा. ऐसी दशा में फ्लाइट नियंत्रण से बाहर होने लगती है.

पायलटों की दिक्कत

विमान को होने वाले नुकसान के साथ ही राख की वजह से पालयटों को भी काफी व्यवारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हवा में 500 से 900 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भर रहे पालयटों के लिए राख के गुबार और बादलों में फर्क करना बहुत मुश्किल होता है. दोनों दूर से सफेद दिखते हैं. इस क्षेत्र के अंदर घुसने पर ही पता चलता है कि यह राख है या बादल.

राख का गुबार सबसे पहले पायलटों की दूर देखने की क्षमता को खत्म कर देता है. इसकी वजह से विजिबिलिटी पूरी तरह खत्म या एक दो मीटर तक सिमट जाती है. राख के क्षेत्र से विमान अगर निकल भी जाए तो भी पायलटों के सामने वाले शीशे पर जमी राख की परत बरकरार रहती है. पानी से मिलने पर यह लसलसी हो जाती है. यह और भी बुरी स्थिति है. विमान की अन्य मशीनों में राख घुसने पर फ्लाइट की स्थिति से संबंधित आंकड़े गड़बड़ा सकते हैं, इससे पालयटों के भ्रमित होने का खतरा पैदा हो जाता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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