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कारोबारब्रिटेन

ब्रिटेन-ईयू के बीच नये "विंडसर फ्रेमवर्क" पर सहमति

२७ फ़रवरी २०२३

ब्रिटेन और ईयू ने ब्रेक्जिट के बाद से चली आ रही 'नॉर्दर्न आयरलैंड प्रोटोकॉल' से जुड़ी शिकायतों को दूर करते हुए एक नया समझौता कर लिया है. जानिए कैसा है ईयू के साथ कारोबार से जुड़ा यह नया "विंडसर फ्रेमवर्क."

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यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष फॉन डेय लायन ने कहा कि विंडसर फ्रेमवर्क "हमारे अपने अपने बाजारों को सम्मान और सुरक्षा देता है."
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष फॉन डेय लायन ने कहा कि विंडसर फ्रेमवर्क "हमारे अपने अपने बाजारों को सम्मान और सुरक्षा देता है."तस्वीर: Dan Kitwood/AP/picture alliance

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लायन ने ब्रेक्जिट के बाद से फंसे हुए उत्तरी आयरलैंड से कारोबार के मुद्दे को सुलझा लिया. कई हफ्तों से जारी राजनीतिक अटकलों और कई महीने चली गंभीर तकनीकी बातचीत के बाद आखिरकार 'नॉर्दर्न आयरलैंड प्रोटोकॉल' में बदलाव लाने पर सहमति बना ली गई है.

लंदन में प्रधानमंत्री सुनक के साथ यूरोपीय आयोग प्रमुख फॉन डेय लायन ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. प्रधानमंत्री सुनक ने बताया कि नये "विंडसर फ्रेमवर्क" में तीन बड़े कदम उठाये जाएंगे. उन्होंने कहा कि एक तो "ब्रिटेन के भीतर कारोबार को आसान बनाने" के लिए चीजों को ग्रीन और रेड लेन में बांट कर रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि ग्रीन लेन उन चीजों की होगी जो उत्तरी आयरलैंड को भेजी जानी हैं और रेड लेन उन चीजों की होगी जिनके ईयू में पहुंचने का खतरा है. सुनक ने बताया कि ग्रीन लेन को "भारी भरकम नौकरशाही का सामना नहीं करना पड़ेगा." सुनक इस समझौते पर मतदान के लिए इसे ब्रिटिश संसद के सामने पेश करेंगे.

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष फॉन डेय लायन ने कहा कि नई डील सभी पक्षों के लिए काम करेगी और विंडसर फ्रेमवर्क "हमारे अपने अपने बाजारों को सम्मान और सुरक्षा देता है." फॉन डेय लायन ने कहा कि अब बस यूरोपीय संघ के सभी कानूनों और साझा बाजार के मुद्दों पर आखिरी स्वीकृति देने वाले यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस की कार्रवाई बाकी है. उन्होंने कहा कि ईयू के लिए आयरलैंड के साथ अपने 'गुड फ्राइडे समझौते' को सुरक्षित रखना और उसके साथ कोई कड़ी सीमा ना बनाना बहुत अहम है. 

कैसा है 'नॉर्दर्न आयरलैंड प्रोटोकॉल'

यह प्रोटोकॉल ब्रेक्जिट के समय से है. इसमें ब्रिटेन और आयरिश सी में स्थित उत्तरी आयरलैंड के बीच ट्रेड बॉर्डर बनाया गया था. ब्रेक्जिट के बाद भी उत्तरी आयरलैंड ईयू के कस्टम-मुक्त व्यापार क्षेत्र का हिस्सा बना रहा. इसका मकसद था उत्तरी आयरलैंड और यूरोपीय संघ के अन्य सदस्य देशों के बीच बॉर्डर कंट्रोल की जरूरत खत्म करना.

इससे उत्तरी आयरलैंड की चीजें तो आराम से निकल जातीं लेकिन जिन चीजों को ब्रिटेन के दूसरे हिस्सों से पहले उत्तरी आयरलैंड लाया जाता है और फिर वहां से ईयू में भेजा जाता है, उनकी सीमा पर जांच करना जरूरी हो जाता.

2020 से ही इसको लेकर एक बड़ी व्यावहारिक समस्या बनी हुई थी. ऐसे नियमों के कारण ब्रिटेन के अंदर व्यापार के माहौल पर बुरा असर पड़ा और इसीलिए ब्रिटेन इस प्रोटोकॉल को काफी समय से बदलना चाहता था. जांच को लेकर उत्तरी आयरलैंड की सबसे बड़ी यूनियनिस्ट पार्टी डीयूपी कड़ा ऐतराज जताती रही है. ब्रिटेन-समर्थक डीयूपी की मांग थी कि ट्रेड बॉर्डर को ही हटा देना चाहिए क्योंकि उसके कारण उत्तरी आयरलैंड ईयू के करीब और ब्रिटेन से दूर होता जा रहा है.

कब से चल रही हैं कोशिशें

2016 में ब्रेक्जिट के पक्ष में आए जनमत संग्रह से लेकर 31 जनवरी 2020 में उसके वाकई यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाने के बीच ब्रिटेन में कितने ही राजनीतिक उतार तढ़ाव आए और सरकारें बदलीं. उसके बाद के तीन साल भी साझा यूरोपीय बाजार से बाहर निकलने से जुड़े सारे नियमों को बदला नहीं जा सका है. नॉर्दर्न आयरलैंड प्रोटोकॉल उन्हीं में से एक था.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्रियों बोरिस जॉनसन और उनके बाद कुछ समय के लिए पद संभालने वाली लिज ट्रुस ने अपने कार्यकाल में धमकी दी थी कि वे अपनी तरफ से इस प्रोटोकॉल को रद्द कर देंगे. वहीं, नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहीं ज्यादा सृजनात्मक रास्ता चुना.

'ब्रेक्जिट' यानि यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने के तीन साल बाद भी साथ दोनों के बीच व्यापारिक संबंधों की कई साफ परिभाषाएं गढ़नी बाकी हैं. उत्तरी आयरलैंड को लेकर खास नियमों के मुद्दे को सुलझा लेना उस दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

ब्रिटेन के सामने खड़ी बड़ी समस्या

अगले साल ब्रिटेन में आम चुनाव होने वाले हैं जिनमें कंजरवेटिव टोरी पार्टी के सुनक को लेबर पार्टी से कड़ी चुनौती मिलना तय माना जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ब्रिटेन को आर्थिक समस्याओं ने बाहर निकलने का रास्ता दिखाने वाले धड़े को उसमें जीत मिलेगी.

दुनिया के सबसे अमीर सात देशों के समूह जी-7 के सदस्य ब्रिटेन की आर्थिक स्थित चिंताजनक बनी हुई है. महंगाई काफी बढ़ी हुई है, वेतन बढ़ाने के मांग को लेकर हड़तालों का सिलसिला चला हुआ है. विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के आंकड़ें दिखाते हैं कि अगले दशक तक पोलैंड का प्रति व्यक्ति आर्थिक उत्पादन ब्रिटेन से आगे निकल जाएगा और 2040 तक तो हंगरी और रोमानिया का भी.

'नॉर्दर्न आयरलैंड प्रोटोकॉल' में बदलावों पर अंतिम सूचना आने के ठीक पहले ब्रिटेन में विपक्ष के नेता कीयर स्टारमर ने कहा, "ब्रिटिश लोग पीछे छूटते जा रहे हैं और हमारे यूरोपीय पड़ोसी अमीर होते जा रहे हैं -- फ्रांस और जर्मनी में ही नहीं बल्कि पूर्वी यूरोप में भी." स्टारमर ने एक कार्यक्रम में कहा कि "ईयू के साथ संबंधों को रीसेट करने" की जरूरत है और "केवल उत्तरी आयरलैंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए."

आरपी/एनआर (डीपीए,एएफपी)

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_