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कौन हैं आतंकियों की मदद के लिए गिरफ्तार किये गए पुलिस कर्मी

१३ जनवरी २०२०

कश्मीर में पुलिस के एक पुलिस अधिकारी को आतंकवादियों का साथ देने के जुर्म में गिरफ्तार कर लेने के बाद, कश्मीर में सुरक्षा बलों की संदिग्ध भूमिका को ले कर फिर से सवाल उठ खड़े हुए हैं.

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Kaschmir | Polizei | Sicherheitskräfte
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan

शनिवार की रात पुलिस ने दक्षिणी कश्मीर में एक तेजी से दौड़ती गाड़ी को रोक कर उसमें सवार डिप्टी पुलिस अधीक्षक दविंदर सिंह, दो आतंकवादियों और उनके कथित सिविलियन सहायक को हिरासत में ले लिया. यह जानकारी देते हुए, इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने श्रीनगर में बताया कि यह एक बड़ी कार्रवाई थी और गिरफ्तार किए गए आतंकियों में से एक, नवीद बाबा, कश्मीर के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का शीर्ष कमांडर है. बाबा पहले कश्मीर पुलिस में ही भर्ती था लेकिन उसने 2017 में पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी और चार हथियार साथ ले कर भाग गया था. कुमार ने बताया कि बाबा हिजबुल मुजाहिद्दीन के नेतृत्व में दूसरे नंबर पर था.

इस मामले को लेकर भारत के रक्षा तंत्र में चिंताएं उत्पन्न्न हो गईं हैं, विशेष रूप से इस वजह से क्योंकि पिछले पांच महीनों से कश्मीर रक्षा-बलों की कड़ी निगरानी में है. कुमार ने कहा, "ये बहुत संवेदनशील मामला है और सभी इंटेलिजेंस एजेंसियां और पुलिस साथ में इस अधिकारी से पूछताछ कर रहे हैं. हालत को देखते हुए, यह एक जघन्य अपराध है". 

ये तुरंत साफ नहीं हो पाया था कि सिंह के पास अपना वकील था या नहीं. 

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तस्वीर: AFP/H. Naqash

सिंह लम्बे समय से पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप में रहे हैं जो कि एक आतंक-विरोधी दस्ता है. कश्मीरी और मानवाधिकार समूह इस दस्ते पर तीन दशकों से मानवाधिकारों के उल्लंघन, हत्याओं, उत्पीड़न, बलात्कार और फिरौती के लिए संदिग्धों और नागरिकों को पकड़ने का आरोप लगाते आए हैं. पकड़े जाने से पहले सिंह श्रीनगर हवाई अड्डे पर हाईजैक विरोधी इकाई में कार्यरत थे. पिछले सप्ताह वे कश्मीर आने वाले 15 देशों के राजदूतों से मिलने वाले अधिकारियों में शामिल थे. 

वो एक आतंक-विरोधी कार्यवाही में घायल भी हुए थे, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति के शौर्य सम्मान से सम्मानित किया गया था. 

हालांकि, बतौर एक आतंक-विरोधी अधिकारी, उन पर अकसर संदिग्धों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे. इनमें एक 19 साल का छात्र भी शामिल था जिसका, जम्मू-कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी के अनुसार, सिंह ने 2000 में अपहरण कर लिया था और बाद में उसे मार भी दिया था. 

कश्मीर के रहने वाले अफजल गुरु, जिन्हें 2013 में नई दिल्ली में तिहाड़ जेल में 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले में शामिल होने के जुर्म में फांसी लगा दी गई थी, ने भी सिंह पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं, गुरु ने यह भी आरोप लगाया था कि संसद पर हमले में शामिल एक प्रमुख आतंकी को सिंह ने ही उनसे मिलवाया था और उसे दिल्ली में किराये पर मकान, गाड़ी और अन्य जरूरत की चीजें दिलवाने पर मजबूर किया था.

  

बाद में 2006 में एक साक्षात्कार में सिंह ने ये स्वीकार किया था कि उन्होंने गुरु का उत्पीड़न किया था. गुरु के दूसरे आरोपों की कभी जांच नहीं की गई.  

यह पहली बार नहीं है जब भारत में पुलिस के किसी अधिकारी पर कश्मीर में आतंकियों के साथ सम्बन्ध रखने का आरोप लगा है. 2012 में, कश्मीर में आतंकवादियों के साथ सम्बन्ध रखने के जुर्म में पुलिस ने दो इंटेलिजेंस अधिकारियों को और दो निचली रैंक के पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. 

2006 में भी इसी तरह के जुर्म में भारतीय सेना के तीन जवान और दो पुलिस अफसरों को हिरासत में रखा गया था. 

Indien Protest Mohammad Afzal Guru
तस्वीर: Reuters

इसके पहले 1992 में, दो पुलिसवालों और एक अर्ध-सैनिक बल के जवान को श्रीनगर में पुलिस मुख्यालय पर बम गिराने में आतंकवादियों की मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

सीके/ओएसजे (एपी)

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