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गहराते जल संकट की वजह से खतरे में करोड़ों लोगों की जिंदगी

एलिस्टर वाल्श
२१ अक्टूबर २०२३

जलवायु परिवर्तन की वजह से कहीं अचानक बाढ़ आ रही है, तो कहीं सूखा पड़ रहा है. जान-माल की भारी क्षति हो रही है. आखिर इस स्थिति से निपटने का तरीका क्या है?

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Australien | Überschwemmungen in Ostaustralien
2022 में ऑस्ट्रेलिया के वायंगला बांध से पानी छोड़े जाने का दृश्य.तस्वीर: Nathan Laine/abaca/picture alliance

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बीते गुरुवार नई रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और इंसानी गतिविधियों की वजह से जल चक्र की स्थिति वैश्विक स्तर पर बिगड़ गई है. इससे करोड़ों लोगों के लिए जल संकट पैदा हो सकता है. डेटा की कमी की वजह से अब तक बाढ़ और सूखे से जुड़े अनियमित जल चक्र की निगरानी में समस्या पैदा हो रही थी. यह जल चक्र पीने के पानी की आपूर्ति और फसलों के लिए उपलब्ध होने वाले पानी, दोनों को प्रभावित करता है. हालांकि, अब प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के विकसित होने से लोगों की जिंदगियां बचाने में मदद मिलेगी.

जल संसाधन की वैश्विक स्थिति को लेकर WMO की ओर से जारी की गई इस दूसरी रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, यह बदलाव की शुरुआत हो सकती है. WMO की एक वैज्ञानिक अधिकारी और रिपोर्ट की कोऑर्डिनेटर सुलग्ना मिश्रा ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के हिसाब से खुद को ढालने, योजना बनाने और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए हमें यह जानना जरूरी है कि जल संसाधनों की मौजूदा स्थिति कैसी है और उनमें क्या बदलाव होने जा रहा है.”

मिश्रा ने DW को बताया, "हाइड्रोलॉजिकल डेटा उन देशों के लिए बहुत संवेदनशील है, जहां नदियां बहती हैं. इसलिए यह भू-राजनीति में भी अहम भूमिका निभाता है. देश अक्सर जल आपूर्ति पर जानकारी साझा करने में सावधानी बरतते हैं.”

किसानों और बीमा कंपनियों की एक साथ मदद करती मौसम ऐप

पानी से जुड़ा डेटा शेयर करना

कुछ क्षेत्रों में निगरानी की कमी के कारण भी डेटा सीमित था. अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया डेटा की पर्याप्त निगरानी न होने की वजह से खासतौर पर प्रभावित हुए हैं. अब इस दिशा में प्रगति हो रही है. 2021 की पहली रिपोर्ट में सिर्फ 38 जगहों का डेटा शामिल किया गया था, जबकि 2022 की रिपोर्ट में 500 से ज्यादा जगहों का डेटा शामिल किया गया. जहां जमीनी डेटा उपलब्ध नहीं था, वहां शोधकर्ताओं ने रिमोट सेंसिंग और अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया.

मिश्रा ने कहा, "इस तरह के विश्लेषणों के नतीजे मिलने के बाद अब अलग-अलग देश अपना डेटा साझा करने लगे हैं. मुझे लगता है कि यह बेहतर हो रहा है.”

Nigeria | Überflutung
नाइजीरिया को 2022 में दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा.तस्वीर: Reed Joshu/AP/picture alliance

WMO के महासचिव पेटेरी टालस ने एक बयान में कहा कि यह रिपोर्ट बेहतर चेतावनी प्रणालियों को विकसित करने के लिए ज्यादा डेटा साझा करने और साथ मिलकर जल प्रबंधन नीतियों के लिए कदम उठाने का आह्वान है. यह जलवायु कार्रवाई का अभिन्न हिस्सा है.

WMO ने निगरानी से जुड़ी कमियां दूर करने और दुनिया के जल संसाधनों की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराने के लिए निवेश करने की भी मांग की है. साथ ही, नीति निर्माताओं से पानी की समस्याओं से जुड़े मुख्य कारणों पर ध्यान देने और उन्हें दूर करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया.

कैसे बदल रहा है वैश्विक जल चक्र

रिपोर्ट में पाया गया कि 2022 में पूरी दुनिया में आधे से ज्यादा जलग्रहण क्षेत्रों में उनकी स्रोत नदियों में पानी का स्तर असामान्य था. अधिकांश नदियों में पानी का स्तर औसत से काफी ज्यादा कम था. वहीं कुछ में काफी ज्यादा पानी था.

नदियों में कम पानी और जीवाश्म ईंधन के जलने से जुड़ी अनियमित वर्षा ने 2022 में दुनियाभर में समस्याएं पैदा कीं. अमेरिका में मिसीसिपी में बाढ़ ने खूब तबाही मचाई. वहीं दक्षिण अमेरिका के ला प्लाटा नदी बेसिन में बोलीविया, उरुग्वे, ब्राजील, पैराग्वे और अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों में नदी के कम प्रवाह के कारण जलविद्युत उत्पादन बाधित हुआ. इस वजह से 2022 में पराग्वे में पानी की आपूर्ति कई बार बाधित हुई.

यूरोप भी इस जल संकट से नहीं बच पाया. यहां सूखे के कारण पानी का स्तर कम हो गया, जिससे डेन्ब्यू और राइन नदी में जहाजों के परिचालन में काफी मुश्किलें आईं. फ्रांस के परमाणु ऊर्जा स्टेशनों को ठंडे पानी की कमी के कारण उत्पादन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा.

हॉर्न ऑफ अफ्रीका में 2022 में लगातार तीसरे साल काफी कम बारिश हुई, जिसके कारण भयंकर सूखा पड़ा और कम से कम 3.61 करोड़ लोग प्रभावित हुए. 49 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हो गए.

ज्यादा पानी से भी पैदा हुई समस्याएं

जल चक्र प्रभावित होने से दुनिया में सिर्फ सूखा ही नहीं पड़ा, बल्कि कई जगहों पर बाढ़ भी आई. नाइजर बेसिन और दक्षिण अफ्रीका के तटीय क्षेत्रों में 2022 में भीषण बाढ़ आई. पाकिस्तान के सिंधु नदी बेसिन में आई भीषण बाढ़ में 1,700 से अधिक लोगों की जान चली गई. इन आपदाओं से 30 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ.

China Wuhan | Yangtze Fluss Niedrigwasserstand
चीन की यांग्त्ज़ी नदी में पानी का स्तर असामान्य रूप से कम रहा.तस्वीर: PENG NIAN/Avalon/Photoshot/picture alliance

भारी बारिश और गर्म लहरों की वजह से ग्लेशियर पिघलने के कारण नदियों के स्तर में असामान्य बढ़ोतरी हुई और भयंकर बाढ़ आई. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन रिसर्च ग्रुप के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी स्थितियां बनने की संभावना बढ़ गई हैं. पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में भी भीषण बाढ़ की स्थिति देखने को मिली.

ग्लेशियर के पिघलने से किस तरह असर पड़ता है?

नई रिपोर्ट में धरती की उन जगहों का भी विश्लेषण किया गया है, जहां पानी ठोस अवस्था में है. इसमें पाया गया कि एशिया के ‘तीसरे ध्रुव' के तौर पर पहचाने जाने वाले उच्च पर्वतीय इलाके में बर्फ वाले क्षेत्र का दायरा कम हो गया है. बर्फ के पिघलने की अवधि कम हो गई है. हिमनदों के पिघलने से झीलें बड़ी और गहरी हो रही हैं.

इस वजह से मध्य एशिया, दक्षिणी एशिया और चीन में सिंधु, अमु दरिया, यांग्त्जी और येलो रिवर बेसिन में जल स्तर पर असर पड़ा है. इससे लगभग 2 अरब लोगों के लिए पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है. यूरोप भी इस असर से अछूता नहीं है. यहां आल्प्स पर भी बर्फ के क्षेत्र का दायरा कम हो गया है और कई ग्लेशियर पूरी तरह पिघल गए हैं.

पानी से जुड़ी आपदाओं के लिए चेतावनी प्रणाली में सुधार

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार 90 फीसदी से अधिक प्राकृतिक आपदाएं पानी से जुड़ी हैं, जिनमें सूखा, जंगल की आग, प्रदूषण और बाढ़ शामिल हैं. WMO को 2027 तक सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने से जुड़े कामों का नेतृत्व सौंपा गया है. हालांकि, अभी दुनिया के सिर्फ आधे हिस्से में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली तक पहुंच है. अफ्रीका, छोटे द्वीपीय देश और कई विकासशील देश इसके इस्तेमाल में काफी पीछे हैं.

शोधकर्ताओं के मुताबिक पानी से जुड़ी आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां काफी कारगर हैं. मिश्रा कहती हैं, "हमें इन घटनाओं की भविष्यवाणी करने और खुद को इससे निपटने में सक्षम होने के लिए अनुमान लगाने से जुड़े बेहतर तरीके की जरूरत है. इससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा.”