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जम्‍मू-कश्‍मीर में परिसीमन रिपोर्ट के बाद पाक का विरोध

आमिर अंसारी
६ मई २०२२

परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है. रिपोर्ट पर पाकिस्तान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट पर प्रभारी भारतीय राजदूत को तलब किया.

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तस्वीर: Faisal Khan/Zuma/dpa/picture alliance

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने गुरूवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी. इसके साथ ही राज्य में जल्द चुनाव के संकेत नजर आने लगे हैं. आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने पर जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा क्षेत्र होंगे. आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 सीटें होंगी. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य में सात विधानसभा सीटें बढ़ जाएंगी. रिपोर्ट में जम्मू संभाग में छह और कश्मीर में एक विधानसभा सीट को बढ़ाया गया है.

इसके अलावा लोकसभा की सीटों की संख्या पांच की गई है. दो-दो सीटें जम्मू और कश्मीर संभाग में होंगी, वहीं एक सीट दोनों के साक्षा क्षेत्र में होगी.

राजनीतिक दलों ने क्या कहा?

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस दोनों ने रिपोर्ट को कश्मीरी लोगों को "बेदखल" करने का प्रयास बताया. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, "परिसीमन आयोग ने जनसंख्या आधार की अनदेखी की और अपनी मर्जी से फैसला किया. इस पर भरोसा नहीं है... इसका मकसद जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित करना है. भारत सरकार ने एक बार फिर संविधान की अनदेखी कर चुनावी बहुमत को अल्पमत में बदल दिया है."

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने कहा कि एक बार फिर अतीत दोहराया गया है और कश्मीर के साथ निष्पक्ष व्यवहार नहीं किया गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता इमरान डार ने मीडिया से कहा है कि उम्मीद के मुताबिक बदलाव नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा इससे सिर्फ बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को फायदा होगा. वहीं प्रदेश बीजेपी ने आयोग को प्रक्रिया समय पर पूरी करन पर बधाई दी है.

दो महत्वपूर्ण सिफारिशों में परिसीमन आयोग ने केंद्र सरकार से 'कश्मीरी प्रवासियों (अनिवार्य रूप से पंडितों)' के लिए दो सीटें आरक्षित करने के साथ-साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) से विस्थापित और जम्मू-कश्मीर में बसे लोगों के प्रतिनिधियों को केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में नामित करने के लिए भी कहा है.

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रिपोर्ट केंद्र को सौंपे जाने के बाद सरकार की ओर से इस संबंध में गजट पत्र भी प्रकाशित किया जा चुका है. आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर जम्मू कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन का काम सौंपा गया था. 2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू क्षेत्र की जनसंख्या 53.72 लाख और कश्मीर क्षेत्र की 68.83 लाख है.

केंद्र सरकार ने इस आयोग का गठन साल 2020 में किया था. आयोग की प्रमुख सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई थीं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त केके शर्मा परिसीमन आयोग के सदस्य थे.

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पाकिस्तान ने रिपोर्ट को खारिज किया

आयोग की रिपोर्ट आने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने नाराजगी जताते हुए भारत के प्रभारी राजदूत को तलब किया और उसने परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करने की बात कही है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने प्रभारी राजदूत से कहा कि परिसीमन आयोग का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर की मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी को "बेदखल और अक्षम" करना है.

2019 में जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य दर्जा वापस लेने के बाद से ही पाकिस्तान खासा नाराज है और उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध कम हो गए. उसके बाद इस्लामाबाद ने भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत स्पष्ट रूप से कह चुका है कि संसद द्वारा 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करना उसका आंतरिक मामला था.

भारत कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव लंबे समय से कराए जाने बाकी है और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव कराए जाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी साल फरवरी में कहा था कि अगले छह से आठ महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होंगे.

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