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कश्मीर में एक और मुठभेड़ पर संदेह

चारु कार्तिकेय
५ जनवरी २०२१

श्रीनगर में 29 दिसंबर 2020 को हुई एक मुठभेड़ को स्थानीय लोग फर्जी बता रहे हैं. मुठभेड़ में तीन युवक मारे गए थे जिनमें से एक की उम्र 16 साल थी.

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Indien Kashmir Unruhen
तस्वीर: Getty Images/R. Bakshi

मुठभेड़ 29 और 30 दिसंबर की रात में हुई थी, जिसके बाद जम्मू और कश्मीर पुलिस ने तीनों युवकों को सोनमर्ग में ही दफना दिया था. कश्मीर में सुरक्षा बल संदिग्ध आतंकवादियों के शव उनके परिवार को नहीं सौंपते हैं लेकिन इस मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिवार के सदस्यों का दावा है कि वो आतंकवादी नहीं थे.

मृतकों में 16-वर्षीय अतहर मुश्ताक वानी, 22-वर्षीय जुबैर अहमद लोन और 24-वर्षीय एजाज मकबूल गनाई शामिल हैं. उनके परिवारों ने कहा है कि वो मुठभेड़ के बस कुछ ही घंटों पहले तक अपने अपने घरों पर ही थे. परिवारों की मांग है कि मृतकों के शव तुरंत उन्हें सौंप दिए जाएं और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए.

कुछ ही दिनों पहले जुलाई 2020 में शोपियां जिले के आम्शीपूरा गांव में हुई एक और मुठभेड़ पर सेना की जांच पूरी हुई. इस मुठभेड़ के भी फर्जी होने का दावा किया गया था. गुरूवार 24 दिसंबर को सेना की चिनार कोर इकाई ने बताया कि जांच में सबूतों को दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है और आगे की कार्रवाई के लिए सबूतों का निरीक्षण किया जा रहा है.

चिनार कोर ने यह नहीं बताया कि जांच किस नतीजे पर पहुंची है लेकिन मीडिया में आई कई खबरों में यह दावा किया जा रहा है कि मुठभेड़ फर्जी पाई गई है और उसमें शामिल सेना के कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है. श्रीनगर की मुठभेड़ को भी अब इसी घटना की रोशनी में देखा जा रहा है. 

मीडिया में आई खबरों में दावा किया जा रहा है कि तीनों के खिलाफ सुरक्षा बलों के पास भी कोई मामला दर्ज नहीं था. लेकिन पुलिस लगातार उन्हें आतंकवादी बता रही है. सोमवार को पुलिस ने दो वीडियो ट्वीट किए जिनमें एक घर को घेरे हुए सुरक्षाबल नजर आ रहे हैं. एक वीडियो 29 दिसंबर की रात का है और दूसरा 30 की सुबह का. दोनों में सुरक्षा बलों को अज्ञात व्यक्तियों से समर्पण करने की अपील करते सुना जा सकता है.

पुलिस का कहना है कि इन अपीलों के बावजूद तीनों व्यक्तियों ने समर्पण नहीं किया, बल्कि उल्टा गोलियां चला दीं और फिर जवाबी कार्रवाई में वो मारे गए. कश्मीर में इस मुठभेड़ को लेकर काफी आक्रोश है. स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी जांच की मांग की है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि इस मामले में सिर्फ एक निष्पक्ष जांच ही परिवारों को शांत कर सकती है.

उन्होंने यह भी बताया की उनकी पार्टी के सांसद मसूदी हसनैन से बातचीत के दौरान लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने मामले में जल्द और न्यायपूर्ण जांच का वादा किया है.

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