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यूएई के साथ जर्मनी के समझौते पर क्यों है विपक्ष को आपत्ति

१३ जून २०१९

जर्मनी ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने कारोबारी संबंध बढ़ाने वाले नए समझौते किए हैं. लेकिन विपक्षी दल यमन, लीबिया और सूडान के विवादों में यूएई की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं.

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Angela Merkel und Mohammed Ben Zayed in Berlin
तस्वीर: Reuters/H. Hanschke

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देश मिलकर आतंकवाद से लड़ेंगे. साथ ही यमन में जारी युद्ध को समाप्त करने की दिशा में भी साथ मिलकर काम करेंगे.

जर्मनी की यात्रा पर आए यूएई के क्राउन प्रिंस ने बुधवार को जर्मनी के साथ 46 सूत्रीय समझौते पर दस्तखत किए. अधिकतर समझौते कारोबार और युद्ध ग्रस्त यमन में शांति से जुड़े हैं. अबु धाबी के क्राउन प्रिंस ने कहा कि पिछले 15 सालों में यूएई और जर्मनी के बीच कारोबार तीन अरब डॉलर से बढ़कर 14 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और इसके आगे भी बढ़ने की उम्मीद है. अल नाहयान ने कहा, "हम रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं और जर्मनी और अमीरात के बीच एक पुल बनाना चाहते हैं. "

जर्मन चांसलर ने कहा कि यूएई के साथ हुए समझौते यमन पर राजनीतिक नतीजे से भी जुड़े हैं. साथ ही उन्होंने यह भी माना कि पिछले साल स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में शुरू हुई शांति प्रक्रिया में अब भी कुछ खास नहीं हुआ है.

साल 2015 से सऊदी अरब, यूएई समेत अन्य अरब देशों के साथ मिलकर यमन सरकार को सहयोग और समर्थन दे रहा है. यमन सरकार, ईरान से सहयोग पा रहे हूथी विद्रोहियों से मुकाबला कर रही है. हालांकि ईरान ऐसे किसी भी समर्थन से इनकार से करता है.

हाल में जर्मनी में निर्मित हथियारों के यमन युद्ध के शामिल होने की खबरें आईं थीं. लेकिन जर्मन सरकार ने हथियारों के इस्तेमाल के मामले पर उठाए गए सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया था. जर्मनी अपने आर्म्स कंट्रोल के सिद्धांतों पर गर्व करता आया है. जर्मन हथियारों के खरीददारों को एक ऐसे एंड-यूजर समझौते पर हस्ताक्षर करने होते हैं, जिसमें वे शपथ लेते हैं कि हथियार आगे किसी भी समूह या देश को बेचे या दिए नहीं जाएंगे.

साल 2018 में जर्मनी ने यमन युद्ध में शामिल देशों पर आंशिक रूप से हथियारों का प्रतिबंध लगाया था. साथ ही सऊदी अरब पर पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में शामिल होने के चलते पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में ब्रिटेन और फ्रांस के दबाव के कारण उस प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाया गया.

जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर श्टाइनमायर ने भी यूएई के क्राउन प्रिंस से मुलाकात की. राष्ट्रपति कार्यालय से मिली जानकारी में कहा गया कि मुलाकात में यमन में जारी युद्ध में यूएई की भूमिका पर भी चर्चा की गई. वहीं विपक्षी दल ग्रीन पार्टी की नेता कलाउडिया रोथ ने कहा शेख की मध्य पूर्व में बेहद ही प्रभावशाली और खौफनाक छवि है. उन्होंने कहा, "यूएई सैन्य बल के डिप्टी कमांडर की हैसियत से उनकी पहुंच वित्तीय और सैन्य क्षमताओं तक है जिसका इस्तेमाल वह अनैतिक रूप से मिस्र, लीबियास सूडान जैसे देशों के निरंकुश शासकों के समर्थन में करते हैं  जो मानवाधिकारों का विरोध करते हैं."

एए/आरपी (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)

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