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निराश आनंद नागरिकता विवाद को विराम देंगे

२५ अगस्त २०१०

शतरंज की दुनिया के बादशाह विश्वनाथन आनंद ने अपनी नागरिकता पर उठे विवाद को निराशाजनक बताया है लेकिन उसे भूलने की इच्छा भी जाहिर की है. आनंद के मुताबिक वह इसे लंबा नहीं खीचेंगे और जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं.

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विवाद से निराशतस्वीर: UNI

एक भारतीय न्यूज चैनल के साथ बातचीत में आनंद ने कहा, "जब मुझे पूरी बात का पता चला तो वाकई मैं निराश हो गया. लेकिन अब मैं समझ गया हूं कि नौकरशाही में इस तरह की बातें होती रहती हैं और हमें उनके मजाकिया पहलू को भी देखना चाहिए. उम्मीद की बात यही है कि अब लोगों को पता चल गया है कि मैं पूरी तरह से एक भारतीय हूं." केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि आनंद मानद डॉक्टरेट उपाधि लेने के लिए राजी हो गए हैं.

Deutschland Schach Weltmeisterschaft in Bonn Wladimir Kramnik gegen Viswanathan Anand
तस्वीर: AP

विवाद तब शुरू हुआ जब हैदराबाद युनिवर्सिटी ने विश्वनाथन आनंद को मानद उपाधि देने की योजना को टाल दिया क्योंकि उसके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आनंद की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए यह जानना चाहा कि आनंद भारतीय नागरिक हैं या नहीं.

विवाद की एक वजह आनंद का काफी समय स्पेन में बिताना भी रही है. लेकिन आनंद की नागरिकता पर सवाल उठने से बवाल मच गया जो मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के खेद प्रकट करने के बाद ही शांत हुआ नजर आ रहा है.

आनंद ने बताया, "स्पेन में रहते हुए मैं ट्रेनिंग लेता रहा हूं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि मैंने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. यह बात तो हमेशा स्पष्ट रही है. इसलिए मुझे नहीं पता कि यह पूरा मामला शुरू कैसे हुआ और वो भी तब जब हमने सारी बातें स्पष्ट कर दी थीं. मैं इस बात का ज्यादा विश्लेषण नहीं करना चाहता. अब तो गलती हो चुकी है और कपिल सिब्बल ने भी माफी मांग ली है. मुझे लगता है कि हमें अब इस प्रकरण को भूल जाना चाहिए. अब आगे बढ़ने की जरूरत है."

कपिल सिबब्ल ने आनंद को जल्द से जल्द उपाधि देने का प्रस्ताव रखा है लेकिन अभी उसे टाल दिया गया है. चार बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुके आनंद का कहना है कि उन्होंने उपाधि लेने से इसीलिए इनकार किया क्योंकि वह व्यस्त हैं और एक समारोह में ही उसे स्वीकार करना चाहते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उभ

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