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पाक में नई सरकार की होगी ये छह चुनौतियां

२० जुलाई २०१८

पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए चुनावों के बाद इमरान खान की पार्टी सरकार बनाएगी. इमरान को छह बड़ी चुनौतियों से निपटना होगा. चलिए जानते हैं क्या हैं ये चुनौतियां.

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Flagge Pakistan und USA
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Ralston

70 साल बाद भी पाकिस्तान कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है. दशकों से सैन्य और असैन्य नेतृत्व की खींचतान के शिकार होने वाले पाकिस्तान में अब बढ़ते चरमपंथ और फैलती जनसंख्या की वजह से कई नई चुनौतियां सिर उठा रही हैं.

सुरक्षा

हाल के बरसों में सेना के कई अभियानों के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा के हालात में सुधार आया है. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान चरमपंथ के मूल कारणों पर ध्यान नहीं दे रहा है. यही वजह है कि अब भी चरमपंथी बड़े हमले करने की ताकत रखते हैं.

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इस बार चुनाव प्रचार के दौरान हुए हमलों में कम से कम 175 लोग मारे जा चुके हैं. 13 जुलाई को बलूचिस्तान में एक चुनावी रैली के दौरान हुए धमाके में 149 लोग मारे गए.

यह पाकिस्तान के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा आतंकवादी हमला है जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली. विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि चरमपंथी गुट फिर से पाकिस्तान में सिर उठाने की कोशिश कर रहे हैं.

विदेश नीति

पाकिस्तान की नई सरकार के लिए विदेश नीति एक बड़ी चुनौती होगी. भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कई साल से तनावपूर्ण हैं. 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को नई दिल्ली आमंत्रित किया था. इसके अलावा खुद मोदी भी पाकिस्तान गए.

लेकिन यह गर्मजोशी ज्यादा दिन नहीं चल सकी. आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों में टकराव बढ़ता गया और फिलहाल बातचीत का कोई संकेत नहीं दिखाई देता है

अमेरिका से भी पाकिस्तान के रिश्ते हाल के सालों में बहुत खराब हुए हैं. ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद में बड़ी कटौती की और अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान को काफी खरी खोटी सुनाई. अमेरिका की बेरुखी पाकिस्तान को चीन के और ज्यादा करीब ला रही है.

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आर्थिक संकट

पाकिस्तान की नई सरकार को आर्थिक तंगियों का सामना करना होगा. अटकलें लग रही हैं कि पाकिस्तान को पांच साल के भीतर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दूसरा बेलआउट पैकेज मांगना पड़ सकता है.

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार सिमटता जा रहा है और पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट आ रही है. व्यापार घाटे को कम करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ही रुपये की कीमत को घटा रही है.

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चीन पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. लेकिन यह चिंता भी बढ़ती जा रही है कि पाकिस्तान को इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. आलोचक चीन के निवेश की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से करते हैं. लेकिन सरकार कहती है कि चीन पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर परियोजना समृद्धि के नए मौके पैदा करेगी.

तेल के बढ़ते दाम भी पाकिस्तान को पसीना छुड़ा रहे हैं. कपड़े जैसे जिन उत्पादों का पाकिस्तान निर्यात करता है, उन्हें भी चीन के सस्ते सामान से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी टक्कर मिल रही है. विदेशों में बसे पाकिस्तानी भी अब अपने वतन में कम पैसा भेज रहे हैं. रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि पाकिस्तान में नई सरकार के पास कदम उठाने के लिए "सीमित समय" ही होगा.

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जनसंख्या

रुढ़िवादी पाकिस्तान में परिवार नियोजन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यही वजह है कि पाकिस्तान एशिया में सबसे ज्यादा जन्मदर वाले देशों में शामिल है. विश्व बैंक और पाकिस्तान सरकार के आकंड़े बताते हैं कि पाकिस्तान में प्रति महिला तीन बच्चे का औसत है. 

पाकिस्तान में 1960 के मुकाबले जनसंख्या पांच गुनी हो गई है, जो अब 20 करोड़ के पार जा पहुंची है. विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण सामाजिक और आर्थिक प्रगति का कोई असर नहीं दिखता.

समस्या यह है कि पाकिस्तान में गर्भनिरोधकों के बारे में खुल कर बात भी नहीं होती. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जनसंख्या की बढ़ती रफ्तार को काबू नहीं किया गया तो उसे पालने के लिए देश के प्राकृतिक संसाधन कम पड़ जाएंगे.

पानी की किल्लत

पाकिस्तान में पीने केपानी के भी लाले पड़ सकते हैं. विश्लेषकों का कहना है कि अगर अधिकारियों ने पानी की किल्लत से निपटने के लिए कदम नहीं उठाए तो पाकिस्तान गंभीर सूखे के संकट का सामना करने को मजबूर होगा.

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2025 तक पाकिस्तान में पानी की बुरी तरह किल्लत हो सकती है. इसका मतलब है कि प्रति व्यक्ति सिर्फ 500 घन मीटर पानी बचेगा 

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पाकिस्तान में विशाल हिमालय ग्लेशियर और नदियां हैं. इसके अलावा मॉनसून की बारिश और उससे आने वाली बाढ़ हर साल का किस्सा है. लेकिन इस पानी को बचाकर रखने का कोई इंतजाम नहीं है. पूरे देश में सिर्फ तीन बड़े जल भंडारण बेसिन हैं जबकि दक्षिण अफ्रीका या कनाडा जैसे देशों में ऐसे बेसिनों की संख्या एक हजार से ज्यादा है.

मंडराते जल संकट से निपटने के लिए भंडारण की व्यवस्था चाहिए और इसके लिए राजनीतिक पहलों की जरूरत है. लोगों को जल संरक्षण के बारे में भी जागरूक करने के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है.

पाकिस्तान और सेना

पाकिस्तान के 71 साल के इतिहास में लगभग आधे समय तक सेना ने देश पर राज किया है. इसलिए सैन्य और असैन्य नेतृत्व के बीच हमेशा से खींचतान रही है जिसे जानकारी लोकतंत्र और प्रगति की राह में बाधा समझते हैं.      

2013 में उम्मीद बंधी जब पहली बार एक चुनी हुई सरकार ने सत्ता दूसरी चुनी हुई सरकार को सौंपी लेकिन सेना और सत्ताधारी पीएमएल (एन) पार्टी के बीच रस्साकशी बार बार सुर्खियों में रही. भ्रष्टाचार के आरोपों में नवाज शरीफ को ना सिर्फ प्रधानमंत्री पद गंवाना पड़ा बल्कि उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया गया.

भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करने वाले नवाज शरीफ इसके अपने खिलाफ सेना और अदालतों की साजिश बताते हैं. नई सरकार के लिए सेना से संबंधों में संतुलन किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं.

एके/एनआर(एएफपी)

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