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सिख उग्रवादियों को मदद देने पर 14 साल कैद

४ अप्रैल २०१२

एक अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक खालिद आवान को सिख उग्रवादी गुट खालिस्तान कंमाडो फोर्स को मदद देने के जुर्म में 14 साल कैद की सजा सुनाई है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

खालिस्तान कमांडो फोर्स (केएफसी) पर भारत में हत्या और बम धमाके करने के आरोप हैं. खालिद आवान को इस गुट को आर्थिक मदद देने के जुर्म में ब्रुकलिन कोर्ट ने 2006 में दोषी करार दे दिया था. 2007 में उन्हें 14 साल कैद की सजा भी सुनाई गई जिसे अपील अदालत ने बाद में खारिज कर दिया. अपील कोर्ट ने निचली अदालत को आतंक को बढ़ावा देने के आरोप में लंबी सजा देने का निर्देश दिया.

इसके बाद आवान को एक बार फिर 14 साल की ही सजा दी गई है. न्याय मंत्रालय ने कहा, "मंगलवार के फैसले में जिला अदालत ने पाया कि आवान के तीनों अपराध आतंक को बढ़ावा देने के इरादे से किए गए थे. इसलिए उन्हें 14 साल कैद की सजा दी जाती है." एफबीआई ने एक बयान में कहा कि केएफसी सिख उग्रवादियों का गुट है जो पंजाब में अलग सिख राज्य चाहते हैं और 1986 से लेकर अभी तक कई मौतों के लिए जिम्मेदार हैं.

इस गुट को भारत में बहुत सी मौतों का जिम्मेदार माना जाता है, जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या (1995) भी शामिल है. साथ ही कई धमाकों और अपहरण के आरोप भी गुट पर हैं.

अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस और एफबीआई ने 2003 में आवान की जांच शुरू की. जाली क्रेडिट कार्ड के मामले में जेल काट रहे आवान के एक साथी ने रिपोर्ट की कि उसने केएफसी के अगवा से संबंध होने का दावा किया है.

2006 की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक आवान को 9/11 के हमलों के बाद पहली बार न्यू यॉर्क पुलिस ने गिरफ्तार किया था. सुनवाई के दौरान अमेरिकी सरकार ने आवान की पाकिस्तान के पंजवर में बातचीत को सबूत के तौर पर पेश किया जिसमें उसने केएफसी के लिए नए सदस्यों की भर्ती और संगठन को धन भेजने की बात की है.

अमेरिकी अटॉर्नी लोरेटा लिंच ने इस मामले में भारत सरकार और पंजाब पुलिस के सहयोग के लिए उसे धन्यवाद दिया है.

एएम/एमजे (पीटीआई)

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