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जर्मनी में आतंकवाद पर काबू के लिए नया डाटाबेस

१९ सितम्बर २०१२

जर्मन सरकार ने नव नाजियों का एक डाटाबेस जारी किया है जिसमें संदिग्धों की जानकारी डाली गयी है. सरकार को उम्मीद है की इस से सुरक्षा एजंसियों के काम में मदद मिलेगी और उग्र दक्षिणपंथियों के हमलों पर भी काबू पाया जा सकेगा.

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तस्वीर: dapd

इस डाटाबेस को बनाने के लिए 36 पुलिसकर्मियों और सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की मदद ली गयी है. सरकार को उम्मीद है कि इस से पुलिस के काम में चूक होने की संभावना कम हो सकेगी. दरअसल एनएसयू यानी नेशनल सोशलिस्ट अंडरग्राउंड नाम के गुट के मामले में जर्मन पुलिस से लगातार चूक होती रही. इस गुट के बारे में पुलिस पिछले साल नवंबर में पता लगा पाई. लेकिन तब तक यह नौ लोगों की जान ले चुका था और कई बैंक डकैतियां भी कर चुका था.

गृह मंत्री हांस पेटर फ्रीडरीष ने इस नए डाटाबेस को "जर्मन सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिहाज से मील का पत्थर" बताया है. अपने बयान में फ्रीडरीष ने कहा, "मुझे लगता है कि एनएसयू के हाथों हुई हत्याओं को ध्यान में रखते हुए यह सही दिशा में लिया गया कदम है, क्योंकि हमें इस से यही समझ आया है कि कहीं ना कहीं सुरक्षा एजेंस्यिओं के बीच संपर्क सुधारने की जरूरत थी."

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गृह मंत्री हांस पेटर फ्रीडरीषतस्वीर: AP

एनएसयू ने सात साल के बीच आठ तुर्क मूल के और ग्रीस के एक नागरिक की हत्या की. 2011 तक पुलिस इनके बारे में पता लगाने में विफल रही. अब इस मामले पर संसदीय जांच चल रही है कि क्रिमिनल रिकॉर्ड होने के बावजूद यह गुट पुलिस की नजरों से कैसे बचता रहा. ऐसा भी माना जाता है कि कुछ अधिकारी इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं. जांच में कई फाइलों के गुम हो जाने या उन पर ध्यान ना दिए जाने की बात कही गयी है.

इस नए डाटाबेस में संदिग्धों के नाम के साथ साथ उनका पता और जन्मतिथि जैसी जानकारी भी दी गयी है. साथ ही यह भी बताया गया है कि वे किन संगठनों से नाता रखते हैं. हालांकि कुछ जानकारी ऐसी भी है जो डाटाबेस में तो है, लेकिन जिसे देखने के लिए वारंट की जरूरत होगी, जैसे कि अकाउंट नंबर.

पुलिस प्रमुख बेर्न्ड विटहाउट का इस बारे में कहना है, "यह एक बेहद जरूरी कदम है लेकिन समस्या का हल नहीं." इस डाटाबेस को ले कर यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि इसमें हर उस व्यक्ति की जानकारी होगी जिसकी दक्षिणपंथी विचारधारा होने का शक है. इन अटकलों को साफ करते हुए विटहाउट ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, "केवल विचारधारा होने से ही आपका नाम इस डाटाबेस में शामिल नहीं हो जाता." जर्मनी में संदिग्ध उग्रवादियों को लेकर पहले भी इस तरह का डाटाबेस बनाया जा चुका है.

आईबी/एनआर (एएफपी/डीपीए/रॉयटर्स)

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