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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

नहीं गली मॉरिसन की दाल, चुनाव में हारी सत्तारूढ़ पार्टी

विवेक कुमार
२१ मई २०२२

ऑस्ट्रेलिया में सत्तारूढ़ लिबरल-नेशनल पार्टी चुनाव हार गई हैं. लेबर पार्टी को देश में सरकार बनाने के स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, लेकिन वह सहयोगियों की मदद से सरकार बनाने की स्थिति में है.

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Parlamentswahl in Australien | Anthony Albanese Labor-Partei
अल्बानीजी को उनकी सिंगल मां ने पाला-पोसा. दोनों सरकार द्वारा मुहैया कराए गए घर में रहते थे.तस्वीर: LUKAS COCH/AAP/REUTERS

मतदान से पहले जो ऑस्ट्रेलिया अपनी मुट्ठी ऐसे कसकर बांधे हुए था कि बताना मुश्किल हो गया था कि चुनाव कौन जीतेगा. उसने स्पष्ट नतीजा देते हुए तय कर दिया है कि नौ साल से जारी लिबरल-नेशनल गठबंधन के अब विपक्ष में बैठने का वक्त आ गया है. पिछले तीन बार से लगातार विपक्ष में रही लेबर पार्टी ऑस्ट्रेलिया में सरकार बनाने जा रही है, जिसके नेता 59 वर्षीय एंथनी अल्बानीजी होंगे.

एंथनी अल्बानीजी ऑस्ट्रेलिया के 31वें प्रधानमंत्री होंगे. 151 सीटों वाली संसद में उनकी लेबर पार्टी को स्पष्ट बहुमत तो नहीं मिल रहा है, लेकिन निवर्तमान प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का जाना तय है, क्योंकि उनका लिबरल-नेशनल गठबंधन सरकार बनाने के लिए जरूरी 76 सीटों के आसपास भी नहीं पहुंच पाया. स्थानीय मीडिया के मुताबिक लेबर पार्टी को अल्पमत की सरकार बनानी पड़ सकती है.

50 प्रतिशत से ज्यादा मतों की गिनती के बाद लेबर पार्टी को 70 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है, जबकि स्थानीय चैनल एबीसी के मुताबिक लिबरल-नेशनल गठबंधन के लिए 60 सीटों तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया. ये आंकड़े दिखाते हैं कि अगली सरकार के कार्यकाल में निर्दलीय और छोटे दलों के हाथ में काफी ताकत रहेगी.

Parlamentswahl in Australien | Scott Morrison Liberale Partei
मॉरिसन लिबरल पार्टी के नेता हैं, जिन्होंने अगस्त 2018 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी.तस्वीर: MICK TSIKAS/AAP/IMAGO

निर्दलीयों की ताकत

इस चुनाव में कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़े नेताओं को हराया है. ज्यादातर निर्दलीय जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान जोर देकर कहा था कि वे सरकार को जलवायु परिवर्तन पर नीतियों में जरूरी बदलाव करने को मजबूर करेंगे.

विक्टोरिया प्रांत की क्यूरिऑन्ग सीट पर वित्त मंत्री जॉश फ्राइडेनबर्ग एक निर्दलीय उम्मीदवार मोनीक रायन से चुनाव हार गए. इसी तरह न्यू साउथ वेल्स राज्य की राजधानी सिडनी की हाई प्रोफाइल मानी जाने वाली नॉर्थ सिडनी सीट पर निर्दलीय काईली टिंक ने लिबरल पार्टी के बड़े नेता ट्रेंट जिमरमान को हराया.

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इसी तरह पिछले चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ऐबट को हराने वालीं निर्दलीय जली स्टीगल अपनी सीट वारिंगा को बचाने के साथ-साथ अपने वोट बढ़ाने में भी कामयाब रहीं. कॉमेंटेटर एंटनी ग्रीन ने एबीसी चैनल पर कहा, "ज्यादातर निर्दलीय सुशिक्षित और प्रतिभाशाली लोग हैं, इसलिए यह एक बहुत दिलचस्प संसद होगी."

Australien Parlamentswahl
वोटिंग सेंटर से बाहर का दृश्य. इस बार ऑस्ट्रेलिया में 1.70 करोड़ लोगों ने सरकार चुनने के लिए वोट डाला है.तस्वीर: JAMES ROSS/AAP/IMAGO

भारतीय मूल के उम्मीदवार

आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों की कोई खास पूछ नहीं होती है. वजह यह है कि वे नाममात्र की सीटों पर इस स्थिति में हैं कि नतीजों को प्रभावित कर सकें. इसके बावजूद 2022 के चुनाव में भारतीय मतदाताओं को ऐतिहासिक रूप से महत्व मिला. हर पार्टी ने भारतीय मूल के मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बड़े एलान किये. लेकिन, भारतीय मूल के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा.

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के ज्यादातर उम्मीदवार चुनाव हार गए. इनमें डेव शर्मा भी शामिल हैं, जो पिछली बार चुनाव जीते थे. सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के सदस्य डेव शर्मा वेंटवर्थ सीट से मैदान में थे और इस सीट से चुनाव हारने वाले वह पहले मौजूदा सांसद बन गए.

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भारतीय मूल के उम्मीदवारों को अक्सर उन्हीं सीटों पर टिकट मिलता है, जहां से पार्टियों का हारना तय माना जाता है. इसलिए भी भारतीय मूल के उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाते हैं और यही स्थिति कमोबेश इस चुनाव में भी बनी रही. हालांकि, इस बार भारतीय मूल के रिकॉर्ड 25 से ज्यादा लोग चुनाव मैदान में थे, लेकिन किसी को भी जीत नसीब नहीं हुई.

Australien Parlamentswahl
ऑस्ट्रेलियाई चुनाव के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा भारतीय उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन किसी को जीत नसीब नहीं हुई.तस्वीर: LUIS ASCUI/AAP/IMAGO

कौन हैं एंथनी अल्बानीजी

ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे लेबर नेता एंथनी अल्बानीजी ने 2019 में पार्टी की कमान तब संभाली थी, जब लेबर पार्टी लगातार दूसरा चुनाव हार गई थी. राजनीति में पिछले चार दशक से सक्रिय एंथनी अल्बानीजी दो दशक से सांसद हैं. वह दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और 2013 में एक बार उप प्रधानमंत्री भी नियुक्त किए गए थे.

सिडनी में जन्मे अल्बानीजी का बचपन गरीब परिवार में गुजरा. उन्हें एक सिंगल मदर ने सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए घर में बड़ा किया और लेबर यूनियन के बीच उनकी मजबूत पकड़ रही है. अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वाले अल्बानीजी ने पढ़ाई के वक्त से ही राजनीति में दिलचस्पी ली और वह लेबर पार्टी के वाम धड़े में सक्रिय रहे.

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अपने प्रचार में अल्बानीजी जो बड़े वादे किए हैं, उनमें महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व, लोगों के लिए सस्ता चाइल्डकेयर, मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था और बुजुर्गों के लिए बेहतर देखभाल जैसी बातें प्रमुख हैं. बतौर प्रधानमंत्री उनके सामने जो बड़ी चुनौतियां होंगी, उनमें चीन के साथ खराब होते रिश्ते, बढ़ती महंगाई और कोविड के बाद अर्थव्यवस्था को घाटे से बाहर लाना शामिल है.

Parlamentswahl in Australien | Anthony Albanese Labor-Partei
अल्बानीजी दो दशक से सांसद हैं और दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.तस्वीर: LUKAS COCH/AAP/IMAGO

जाते-जाते क्या बोले प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन

निवर्तमान प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भारत के प्रति विशेष लगाव रखते हैं. उन्हें भारतीय खाना पकाना और खाना दोनों ही बेहद पसंद रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके नजदीकी संबंधों की अक्सर चर्चा हुई है.

अपनी हार स्वीकार करते स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि आज की रात निराशाजनक है, लेकिन उन्होंने एक मजबूत सरकार चलाई, जिसके बूते आज ऑस्ट्रेलिया एक ज्यादा मजबूत देश है. पार्टी के नेता पद से इस्तीफा देने का एलान करते हुए मॉरिसन ने कहा, "मैंने हमेशा जनादेश को स्वीकार किया है और आज उन्होंने अपना आदेश सुना दिया है. मैं एंथनी अल्बानीजी को जीत पर बधाई देता हूं और लेबर पार्टी की सरकार को शुभकामनाएं देता हूं."

Australien | Wahlen
स्कॉट मॉरिसन ने हार स्वीकार करते हुए अल्बानीजी को जीत की शुभकामनाएं दी हैं.तस्वीर: Mick Tsikas/AP Photo/picture alliance

मॉरिसन ने कहा, "आने वाले हफ्ते में टोक्यो में एक अहम बैठक होनी है, इसलिए बहुत जरूरी है कि देश में सरकार के बारे में एक स्पष्टता हो. बीते कुछ सालों में दुनिया ने बहुत उथल-पुथल देखी है. जरूरी है कि देश के हालिया घाव भरें और हम आगे बढ़ पाएं."

रिपोर्ट: विवेक कुमार