कैथोलिक चर्च को आमदनी की चिंता | दुनिया | DW | 29.03.2019
  1. Inhalt
  2. Navigation
  3. Weitere Inhalte
  4. Metanavigation
  5. Suche
  6. Choose from 30 Languages

दुनिया

कैथोलिक चर्च को आमदनी की चिंता

जर्मनी मुख्य रूप से ईसाइयों का देश है जहां लोग चर्च के लिए आमदनी की निश्चित राशि टैक्स के तौर पर देते हैं. बहुत से लोग धार्मिक पंथ से बाहर निकल रहे हैं. कैथोलिक गिरजे को अब अरबों की आमदनी की चिंता सता रही है.

जर्मनी में इस समय रोजगार की स्थिति अच्छी है, वेतन और आय में वृद्धि हो रही है. इसलिए चर्च की आमदनी भी बढ़ रही है. कैथोलिक और इवांजेलिक गिरजे के सदस्य अपने गिरजों को आयकर का 9 प्रतिशत सदस्यता कर के रूप में देते हैं. एक ओर आय बढ़ने के कारण आमदनी में वृद्धि हो रही है तो दूसरी ओर सदस्यों के गिरजा छोड़कर जाने के कारण भविष्य की चिंता भी है. बहुत से लोग चर्च कर या सदस्यता फीस से बचने के लिए चर्च छोड़ रहे हैं.

अब कैथोलिक गिरजे के एक प्रमुख अधिकारी बिशप ग्रेगोर मारिया हांके ने चर्च कर के विकल्प पर बहस की मांग की है. उन्होंने कहा है कि वे फौरन चर्च कर की समाप्ति नहीं चाहते हैं लेकिन इस पर बहस जरूरी है कि क्या चर्च के खर्च को पूरा करने के लिए आमदनी का मौजूदा तरीका भविष्य के लिए टिकाऊ रास्ता है. बिशप की चिंता सदस्यों का बड़े पैमाने पर चर्च छोड़ना और देश का आबादी संबंधी विकास है जहां कम बच्चे पैदा हो रहे हैं. उनका कहना है, "दस साल में चर्च की आमदनी चरमरा जाएगी."

जर्मनी में कैथोलिक और इवांजेलिक गिरजे किंडरगार्टन, स्कूल और अस्पताल चलाते हैं. इसके लिए उन्हें सरकार से मदद भी मिलती है. चर्च पर इसका दबाव भी है कि वह सरकार से मदद लेकर उस पर निर्भर होती जा रही है. बिशप की चिंता ये है कि चर्च के सदस्य कम हो जाएंगे और फिर जर्मनों का बहुमत चर्च के संस्थानों के लिए धन देने को राजी नहीं होगा. इस समय गैर ईसाई भी अपने करों से सरकारी मदद के रूप में चर्च के संस्थानों की मदद कर रहे हैं. गिरजे को अतीत में सरकार द्वारा जब्त की गई संपत्ति के मुआवजे के तौर पर सरकारी सहायता मिलती है.

इस सारी बहस में दिलचस्प बात ये है कि फिलहाल गिरजों को आमदनी की कोई चिंता नहीं है. 2017 में गिरजों की आमदनी का रिकॉर्ड बना. जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस के अनुसार जर्मनी में कर देने वाले कैथोलिकों ने 2017 में 6.4 अरब यूरो चर्च कर दिया. इवांजेलिक गिरजे को चर्च कर के रूप में 5.6 अरब यूरो मिले. इसकी वजह मुख्य रूप से सदस्यों की आय में वृद्धि रही.

महेश झा (इपीडी)

संबंधित सामग्री